मुहब्बत के तीखे सवालात से गुजरे।
हाय! इश्क के बदनुमा ख्यालात से गुजरे।।
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अकेले रहे हरदम खुशियां रहीं।
अपनों के बीच बुरे हालात से गुजरे।।
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ज़िन्दगी ने दिखाया हर कदम पर आईना।
सच और झूठ की बरसात से गुजरे।।
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जमाने ने हर बार उठाई ही अंगुलियां।
ज़िन्दगी के तमाम हैहात से गुजरे।।
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ये इश्क का जुनून था सिर से उतरता ही नहीं था।
तमाम उम्र हम इस्बात से गुजरे।।
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खुद को साबित करने में इक अरसा गुजर गया।
उजालों को खोजने हम दिन-रात से गुजरे।।
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अनूप दीक्षित"राही
उन्नाव उ0प्र0
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