*मधुमालती छंद*
*शिक्षा*
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शिक्षा सहज विस्तार दे ,
यह ज्ञान को आधार दे ।
जीवन शुचित परिकल्पना,
संसार शोभित अल्पना ।।
आओ चलें शिक्षित करें ,
समता बसाएँ शुभ वरें ।
लाए नया शुचि ज्ञान वो ,
जिसमें बसा शुभ ध्यान हो।।
चलते चलो आगे बढ़ो ,
संघर्ष कर अक्षर गढ़ो ।
विश्वास मन में हो अटल ,
उत्कर्ष शोभित हो प्रबल ।।
झंकृत बजे वीणा सुखद ,
शिक्षा सदा ही हो वरद।
माँ भारती आराधना ,
हिय में बसे संकल्पना ।।
अक्षर शुभग बन वंदिता ,
रच ग्रंथ तुलसी शब्दिता।
लालित्य ग्रंथों शोभिता ,
उत्कृष्ट आभा रक्षिता ।।
अन्तर समाहित ज्ञान हो ,
शिक्षा नवल विस्तार हो।
जन- जन बने शिक्षित जहाँ ,
शिक्षा मधुर रक्षित तहाँ ।।
*मधु शंखधर 'स्वतंत्र*
*प्रयागराज*
*31/03/2022*
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