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मधु शंखधर स्वतंत्र

*मधुमालती छंद*
*धड़कन*
-------------------------
धड़कन ह्रदय की गति सहज ।
यह प्राण का द्योतक महज ।।
जीवन का यह उपनाम है ।
गतिमय सुबह अरु शाम है ।।

यह जीव की पहचान है ।
सबके ह्रदय का मान है ।।
धकधक करे शुचि गान है ।
सत्यम् शिवम का भान है ।।

धड़कन चले जीवन मिले।
ज्यूँ पुष्प बगिया में खिले।।
जीवन मरण का ध्यान है।
यह ईश का वरदान है।।

यह प्रेम शाश्वत शोभितम्।
है हिय बसा यह शाश्वतम्।।
जब तक चले जीवन चले।
जब यह रुके जीवन छले।।

धड़कन बसे मनमीत जब ।
प्रियतम  बढ़ाए प्रीत तब ।।
यह जिन्दगी यह जान है ।
धड़कन मनुज अभिमान है।।

आओ सहेजें दिल सभी ।
दिल मत दुखाओ तुम कभी ।।
 धड़कन बसे सद्भावना ।
यह मधु ह्रदय की कामना ।।
मधु शंखधर स्वतंत्र
*प्रयागराज*
*20/03/2022*

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