"नवरात्रि"
नवरात्रि का त्योहार, लाया खुशियाँ अपार।
मन झूमे बार-बार, करे वन्दना श्रृंगार।
नव देवियों का आगमन, धरा करे सुस्वागतम।
फैला चहुँदिश उल्लास, प्रकृति करती हुलास।
अँगना खुशियाँ हैं छाई, जैसे खिलते पलाश।
लाओ पूजा की थाल, करो दीपक प्रकाश।
करती दुष्टों का नाश, घ्वनि करता आकाश।
जीवन करती सुगम, नहीं कोई पथ दुर्गम।
जीवनदायिनी हैं मैया, छवि लागे सुंदरतम।
चलो आस्था के मार्ग, हो जीवन का उद्धार।
नवदुर्गा की साधना ,करे कष्टों से उद्धार।
बढ़े धन और धान्य, फैले शांति निज धाम।
जग करे आराधना, लेके अम्बे का नाम।
सुख, शांति, समृद्धि, लाये देवियों के पाँव।
माता दुर्गे सँवारे ,मेरे बिगड़े सब काम।
मद, मोह, लोभ, काम ,साधना से कट जायें।
विषय विकार सभी मन के, तेरी भक्ति से मिट जाये।
इन्द्रियाँ हो वश में, भवसागर से तर जायें।
मिले आशीष माँ का, सब कष्ट मिट जायें।
डॉ0 निर्मला शर्मा
दौसा राजस्थान
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