सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

डॉ0 हरि नाथ मिश्र

लोकगीत
    *सवँरिया भुलाइ गइलैं*
गाईं हम कइसे अब कजरिया,
सवँरिया भुलाइ गइलैं सखिया।।

जाइ परदेसवा सुधियो ना लिहलैं,
नेहिया-सनेहिया के पूरा बिसरौलैं।
भेजे नाहीं कउनौ खबरिया।।सवँरिया भुलाइ.......

चढ़तइ सवनवाँ बौरायल मौसमवाँ,
करै पूरी देहिया तोरायल बेईमनवाँ।
सतावै रात बहुतै अन्हरिया।।सवँरिया भुलाइ........

चमकै बिजुरिया त चिहुँकै जियरवा,
बहुतै सतावै ई मौसमी बोखरवा।
लगावै आगि बिरह-चिनगरिया।।सवँरिया भुलाइ........

रात-दिन रहिया निहार थके नैना,
नाहीं सुख कउनो न मिले अब चैना।
सून- सून लागै मोरि अटरिया।।सवँरिया भुलाइ..........

रेलिया-मोटरिया कै सुनि-सुनि सिटिया,
आवे नाहीं हमरा के रतिया में निंदिया।
काटि खाय फूल कै सेजरिया।।सवँरिया भुलाइ..........

तोहसे कहीला सुना हे भइया बदरा,
दे दा सनेस मोर पिया भइलें बहिरा।
बैठि जोहीं अबहीं ले दुवरिया।।
         सवँरिया भुलाइ गइलैं सखिया।।
                 ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
                     9919446372

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को उत्कृष्ट कविता लेखन एवं आनलाइन वीडियो के माध्यम से कविता वाचन करने पर राष्ट्रीय मंच द्वारा सम्मानित किया गया। यह मेरे लिए गौरव का विषय है।

डा. नीलम

*गुलाब* देकर गुल- ए -गुलाब आलि अलि छल कर गया, करके रसपान गुलाबी पंखुरियों का, धड़कनें चुरा गया। पूछता है जमाना आलि नजरों को क्यों छुपा लिया कैसे कहूँ , कि अलि पलकों में बसकर, आँखों का करार चुरा ले गया। होती चाँद रातें नींद बेशुमार थी, रखकर ख्वाब नशीला, आँखों में निगाहों का नशा ले गया, आलि अली नींदों को करवटों की सजा दे गया। देकर गुल-ए-गुलाब......       डा. नीलम

रमाकांत त्रिपाठी रमन

जय माँ भारती 🙏जय साहित्य के सारथी 👏👏 💐तुम सारथी मेरे बनो 💐 सूर्य ! तेरे आगमन की ,सूचना तो है। हार जाएगा तिमिर ,सम्भावना तो है। रण भूमि सा जीवन हुआ है और घायल मन, चक्र व्यूह किसने रचाया,जानना तो है। सैन्य बल के साथ सारे शत्रु आकर मिल रहे हैं, शौर्य साहस साथ मेरे, जीतना तो है। बैरियों के दूत आकर ,भेद मन का ले रहे हैं, कोई हृदय छूने न पाए, रोकना तो है। हैं चपल घोड़े सजग मेरे मनोरथ के रमन, तुम सारथी मेरे बनो,कामना तो है। रमाकांत त्रिपाठी रमन कानपुर उत्तर प्रदेश मो.9450346879