लोकगीत
*सवँरिया भुलाइ गइलैं*
गाईं हम कइसे अब कजरिया,
सवँरिया भुलाइ गइलैं सखिया।।
जाइ परदेसवा सुधियो ना लिहलैं,
नेहिया-सनेहिया के पूरा बिसरौलैं।
भेजे नाहीं कउनौ खबरिया।।सवँरिया भुलाइ.......
चढ़तइ सवनवाँ बौरायल मौसमवाँ,
करै पूरी देहिया तोरायल बेईमनवाँ।
सतावै रात बहुतै अन्हरिया।।सवँरिया भुलाइ........
चमकै बिजुरिया त चिहुँकै जियरवा,
बहुतै सतावै ई मौसमी बोखरवा।
लगावै आगि बिरह-चिनगरिया।।सवँरिया भुलाइ........
रात-दिन रहिया निहार थके नैना,
नाहीं सुख कउनो न मिले अब चैना।
सून- सून लागै मोरि अटरिया।।सवँरिया भुलाइ..........
रेलिया-मोटरिया कै सुनि-सुनि सिटिया,
आवे नाहीं हमरा के रतिया में निंदिया।
काटि खाय फूल कै सेजरिया।।सवँरिया भुलाइ..........
तोहसे कहीला सुना हे भइया बदरा,
दे दा सनेस मोर पिया भइलें बहिरा।
बैठि जोहीं अबहीं ले दुवरिया।।
सवँरिया भुलाइ गइलैं सखिया।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
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