212 212 212 212
हम तुम्हें श्याम निस दिन बुलाते रहे,
हम सदा शीश चरणन झुकाते रहे।
तुम हृदय में समाए रहे रात दिन,
मन सिहांसन तुम्ही से सजाते रहे।
हम तुम्हें श्याम निस दिन बुलाते रहे,
हम सदा शीश चरणन झुकाते रहे।
नैन तिरछे दिखे रोज जादू करे,
चढ़ गया खूब जादू बचाते रहे।
बांसुरी जब बजे चैन ही छीन ले,
पाँव पायल बजे वो नचाते रहे।
हम तुम्हें श्याम निस दिन बुलाते रहे,
हम सदा शीश चरणन झुकाते रहे।
केश है घुंघराले उड़े जा रहे ,
ये नजर ना हटे हम हटाते रहे।
आज सुन लो अरज फिर कहे ना कभी,
संग रहना हमारे मनाते रहे।
हम तुम्हें शाम निस दिन बुलाते रहे,
हम सदा शीश चरणन झुकाते रहे। ।
🙏🌹सुप्रभात जी🌹🙏
ऊषा जैन कोलकता
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