शीर्षक - भारतीय नव वर्ष
बसंत बहारों फागुनी रंग बयारों से पाकर यौवन,पूरा भारत झूम रहा है आज
अवनि और अंबर प्रफुल्लित हो रहे, सभी देव सुमन वर्षा रहे आज
मंद पवन के झोकों से चहुं ओर बह रही, सुरभि सुगंधित आज
दशों दिशाएं पुलकित हैं, भारत की महिमा के गीत गा रहीं आज
देख छटा भारत भूमि की , प्रकृति सृष्टि भी पुलक रही है आज
सूर्य-शशि में होड़ लगी है, भारत माता की आरती कौन उतारे आज
भारत माता का वैभव श्रंगारित स्वरूप देख, ऋद्धि सिद्धि भी लजा रहीं हैं आज
पूरा भारत नव दुर्गा की नवधा भक्ति शक्ति की, उपासना शुरू कर रहा आज
जवान, किसान, युवा, उद्यमी, स्त्री-पुरुष, सब में सृजन साकार हो रहा आज
उत्तर- दक्षिण,पूरब- पश्चिम खुशियां छायीं,सब एक सूत्र में बॅ॑ध रहे आज
उत्साह, ऊर्जा की लहर उठाता, युग बोध की स्मृति जगाता,नव वर्ष आ गया आज
पुण्य धरा भारत की घर घर में धन-धान्य की, खुशहाली लाती आज
शस्यश्यामला भारत माता सतरंगी, परिधान पहन है हर्षाती आज
आर्यावर्त भरतखण्ड की इस पुण्यभूमि की,यश कीर्ति गा रहा विश्व आज
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा प्रति वर्ष, है हमारा नव वर्ष, प्रकृति सृष्टि भर जाती है चिर यौवन से आज....
बसंत बहारों फागुनी रंग बयारों से पाकर यौवन, पूरा भारत झूम रहा है आज.......
अवनि और अंबर प्रफुल्लित हो रहे, सभी देव सुमन वर्षा रहे आज ......
जय भारत जय हिन्द
चंद्रप्रकाश गुप्त "चंद्र"
(ओज कवि एवं राष्ट्रवादी चिंतक)
अहमदाबाद, गुजरात
***********************************
सर्वाधिकार सुरक्षित
***********************************
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें