सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

विजय कल्याणी तिवारी

//  माँ -- 7  //
--------------------------
मात तुम्हारे चरण में  कटे शेष दिन रैन।
तत्क्षण जीवन से विदा  दरस न पाए नैन।।

उस जीवन का अर्थ क्या  जो तुझसे है हीन।
सब कुछ पाकर वह मनुज  जग जीवन हो दीन।।

माँ करुंणा के अंश से  भर झोली संसार।
धीरे - धीरे धर्म का  होने लगे प्रसार।।

घटे ताप संताप जग  निखरे पुण्य प्रकाश।
तेरी सत्ता हो अटल  भाव रहे मन दास।।

प्रेम प्रीत के वृक्ष में  खिले सुवासित फूल।
नेह स्नेह बढ़ता रहे  जीवन के अनुकूल।।

विजय कल्याणी तिवारी, बिलासपुर छ.ग.
// माँ -- 6 //
----------------------
दुख दारिद जग बढ़ रहा विघटन में है प्रीत 
ऐसे में मन मोहते माता तेरे गीत ।।

अंतस के मृत भाव को सहज जगाती मात
निज भक्तों पर नित करें नेह मयी बरसात।।

तेरे चौखट से कोइ गया न खाली हाथ
हाथ पकड़ कर ले गई सबको अपने साथ।।

विपदा में हम सब पड़े माता विपति निवार
सहज सुखों का भान हो बदल मनुज व्यवहार।।

गुंजित गीत हृदय रहे और चरण में ध्यान
जनम जनम सेवक रहूँ इसका हो अभिमान।।

विजय कल्याणी तिवारी, बिलासपुर छ.ग.

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

रक्तबीज कोरोना प्रतियोगिता में शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को मिला श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान

रक्तबीज कोरोना प्रतियोगिता में शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को मिला श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान महराजगंज टाइम्स ब्यूरो: महराजगंज जनपद में तैनात बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षक व साहित्यकार दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान मिला है। यह सम्मान उनके काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना के चलते मिली है। शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी ने कोरोना पर अपनी रचना को ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता में भेजा था। निर्णायक मंडल ने शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल के काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना को टॉप 11 में जगह दिया। उनकी रचना को ऑनलाइन पत्रियोगिता में  सातवां स्थान मिला है। शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी को मिले इस सम्मान की बदौलत साहित्य की दुनिया में महराजगंज जनपद के साथ बेसिक शिक्षा परिषद भी गौरवान्वित हुआ है। बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षक बैजनाथ सिंह, अखिलेश पाठक, केशवमणि त्रिपाठी, सत्येन्द्र कुमार मिश्र, राघवेंद्र पाण्डेय, मनौवर अंसारी, धनप्रकाश त्रिपाठी, विजय प्रकाश दूबे, गिरिजेश पाण्डेय, चन्द्रभान प्रसाद, हरिश्चंद्र चौधरी, राकेश दूबे आदि ने साहित्यकार शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को बधाई दिय...

डॉ. राम कुमार झा निकुंज

💐🙏🌞 सुप्रभातम्🌞🙏💐 दिनांकः ३०-१२-२०२१ दिवस: गुरुवार विधाः दोहा विषय: कल्याण शीताकुल कम्पित वदन,नमन ईश करबद्ध।  मातु पिता गुरु चरण में,भक्ति प्रीति आबद्ध।।  नया सबेरा शुभ किरण,नव विकास संकेत।  हर्षित मन चहुँ प्रगति से,नवजीवन अनिकेत॥  हरित भरित खुशियाँ मुदित,खिले शान्ति मुस्कान।  देशभक्ति स्नेहिल हृदय,राष्ट्र गान सम्मान।।  खिले चमन माँ भारती,महके सुरभि विकास।  धनी दीन के भेद बिन,मीत प्रीत विश्वास॥  सबका हो कल्याण जग,हो सबका सम्मान।  पौरुष हो परमार्थ में, मिले ईश वरदान॥  कविः डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" रचना: मौलिक (स्वरचित)  नई दिल्ली

डा. नीलम

*गुलाब* देकर गुल- ए -गुलाब आलि अलि छल कर गया, करके रसपान गुलाबी पंखुरियों का, धड़कनें चुरा गया। पूछता है जमाना आलि नजरों को क्यों छुपा लिया कैसे कहूँ , कि अलि पलकों में बसकर, आँखों का करार चुरा ले गया। होती चाँद रातें नींद बेशुमार थी, रखकर ख्वाब नशीला, आँखों में निगाहों का नशा ले गया, आलि अली नींदों को करवटों की सजा दे गया। देकर गुल-ए-गुलाब......       डा. नीलम