212/ 212/ 212 /212
साधना मन यही श्याम मिलना मुूझे
फूल बन पाँव में कृष्ण रहना मुझे।
रोज़ देखा करूँ मै तुम्हे ख़्वाब में
रूबरू भी कभी श्याम तकना मुझे।।
बांसुरी बज उठी मैं मगन हो गई
पाँव घुंगरु पहन झूम नचना मुझे।।
मोहनी सुरतिया तो लुभाती बहुत
खो रहे होश अब थाम रखना मुझे।।
रूप तेरा हृदय में बसा ही लिया
उर्वशी श्याम का नाम जपना मुझे। ।
🙏🌹 *सुप्रभात जी* 🌹🙏
ऊषा जैन कोलकाता
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