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दिलीप कुमार पाठक सरस

*नवसंवतर मंगलमय हो* 

गणपति को निज शीश झुकाती, मिली सुहानी भोर |
आशाओं ने पंख पसारे, दृष्टि गगन की ओर ||
नये वर्ष की पावन बेला, स्वागत में श्रीमान |
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा मनोहर, करती जय-जय गान ||

माँ की ममता की छाया में, मिलता हर्ष अपार |
अष्ट सिद्धि नव निधि ने खोले, नए वर्ष के द्वार ||
रोग द्वेष भय शोक क्रोध सब, भागें कोसों दूर |
धन वैभव सुख साधन सारे, मिलें सहज भरपूर ||

पल-पल गाती दिशा प्रगति की, नवल मंगलाचार |
अम्बर देता आलिंगन को, बाहों का विस्तार |
नवसंवतसर शुभ हो सबको, दें खुशियाँ उपहार |

सहज भाव से सरस बधाई, कर लेना स्वीकार ||
पल-पल जिसका मैं अभिलाषी, मिले आपका प्यार |
यही कामना है ईश्वर से, आप रहें खुशहाल |
दीर्घ आयु हो स्वस्थ रहें नित, और बढ़े परिवार ||

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~दिलीप कुमार पाठक 'सरस'

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