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प्रखर दिक्षित

*गीत*

*पुष्प वाटिका*

मनोहर जोड़ी री!सुखधाम। 
तपसी भेष धरे ज्यों काम।।

मेरे। मन की जानो भवानी, पूरण इच्छा करो स्वामिनी। 
विंहसी मूरत माला खिसकी, वरदा वर दो हे महरानी।।
       गौरा मैया यही चाह मन,
             हों वैदेही वर ये घनश्याम।।
*मनोहर जोड़ी री!......*

कौन देश किसके सुत ज्याए, कहो प्रयोजन कैसे आए। 
गौर बरन ये कौन लाल जी, बड़े भाग दर्शन हम पाए।।
      तपसी बांके राजकुमार ,
           बताओ ऐ जी आपन नाम।। 
*मनोहर जोड़ी री!......*

अवध नगरिया कोशलेश सुत, चुनने पुष्प वाटिका आए। 
गौर बरन लछिमन लघु भ्राता, दृश्य मनोरम सुंदर भाए।।
     विदेह नगर की वैदेही को,
         मन भाए तपसी युव राम।।
*मनोहर जोड़ी री!......*

प्रखर दिक्षित

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