प्रीत पदावली ----
08/04/2022
------ टूटे ताले -----
जो भी करना था कर डाले ।
कठिन परीक्षा दी जीवन की ,
खुशियाँ बाँट रहे अब छाले ।।
पिंजर टूटा उड़े परिंदे ,
गगन बुलाता सैर कराने ।
मिला खजाना प्रीत मीत का ,
जंग लगे वह टूटे ताले ।।
विकृत मनस का रूप निखर ,
पावनता नित पोषित होता ।
कोना कोना मन मन्दिर का ,
दूर हो रहे सारे जाले ।।
अद्भुत प्यास जगी है प्यारे ,
मिलन विरह के चक्रव्यूह से ।
भाव विवेकी आगे बढ़कर ,
धुले सभी तन मन के काले ।।
मूल गंध आकर्षित करती ,
कदम बढ़े अब मंजिल पाने ।
तूफानों में कश्ती थामे ,
मिला मुझे पिय बन रखवाले ।।
---- *रामनाथ साहू* *" ननकी "*
*मुरलीडीह* *( छ. ग. )*
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प्रीत पदावली ----
07/04/2022
------ दीवाना -----
अब तक दीवाना बना रहा ।
कुछ नासमझी थी पता चला ,
क्यों मैं अंजाना बना रहा ।।
मोह निशा का अंत हुआ अब ,
खुद से बेगाना बना रहा ।
संसारी भावों में लिपटा ,
अब तक मस्ताना बना रहा ।।
उसको पाना फिर भी खोना ,
यूँ ही पछताना बना रहा ।
जी लेने की कोशिश में ही
कुछ आना जाना बना रहा ।।
सब छककर पीते थे मुझको
मैं ही पैमाना बना रहा ।
छोड़ चले हैं वो हाथों को ,
दिल का याराना बना रहा ।।
कुछ रिश्ते निभा चुके दिल से
अब तक दोस्ताना बना रहा ।
आई बात समझ में इतनी ,
अपना अफसाना बना रहा ।।
---- *रामनाथ साहू* *" ननकी "*
*मुरलीडीह* *( छ. ग. )*
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