सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

नूतन लाल साहू

क्यों रूठ गये है प्रभु जी

क्या मैं बताऊं,क्या मैं सुनाऊं
नैनो में आंसू उठे न कदम है
दुःख ऐसा नही है कोई,जिसे मैं मन में छिपाऊं
क्या तुम परीक्षा ले रहे हो हमारी
क्यों रूठ गये है प्रभु जी मेरे।
पानी पीकर प्यास बुझाऊं
नैनन को कैसे समझाऊं
तेरे बिन आवे न मुझकों निंदिया
बरस रही है नैनों से झड़ियां
दीनो के नाथ क्यों निष्ठुर बना है
क्यों रूठ गये है प्रभु जी मेरे।
क्या मुझसे दोष हुआ है
हुआ है क्या गुनाह मुझसे
संकट में है आज वो धरती
जिस पर तूने जन्म लिया था।
देख रहे हो,मेरे दुःखडे सारे
कब दर्शन दोगे, छुटै अब तो दम है
क्यों रूठ गये है प्रभु जी मेरे।
मैं ढूंढ रहा हूं तुमकों प्रभु जी
कुंजन कुंजन जमुना तट पर
मैं तो अर्जी कर सकता हूं
आगे मर्जी है तेरी
बीच मंझधार में,मैं पड़ा हूं
तेरी आशा लिए,मैं खड़ा हूं
रास्ता ना सुझें, मुझको प्रभु जी
कहां जाएं मुसीबत के मारे
क्या मैं बताऊं, क्या मैं सुनाऊं
क्यों रूठ गये है प्रभु जी मेरे।

नूतन लाल साहू

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को उत्कृष्ट कविता लेखन एवं आनलाइन वीडियो के माध्यम से कविता वाचन करने पर राष्ट्रीय मंच द्वारा सम्मानित किया गया। यह मेरे लिए गौरव का विषय है।

डा. नीलम

*गुलाब* देकर गुल- ए -गुलाब आलि अलि छल कर गया, करके रसपान गुलाबी पंखुरियों का, धड़कनें चुरा गया। पूछता है जमाना आलि नजरों को क्यों छुपा लिया कैसे कहूँ , कि अलि पलकों में बसकर, आँखों का करार चुरा ले गया। होती चाँद रातें नींद बेशुमार थी, रखकर ख्वाब नशीला, आँखों में निगाहों का नशा ले गया, आलि अली नींदों को करवटों की सजा दे गया। देकर गुल-ए-गुलाब......       डा. नीलम

रमाकांत त्रिपाठी रमन

जय माँ भारती 🙏जय साहित्य के सारथी 👏👏 💐तुम सारथी मेरे बनो 💐 सूर्य ! तेरे आगमन की ,सूचना तो है। हार जाएगा तिमिर ,सम्भावना तो है। रण भूमि सा जीवन हुआ है और घायल मन, चक्र व्यूह किसने रचाया,जानना तो है। सैन्य बल के साथ सारे शत्रु आकर मिल रहे हैं, शौर्य साहस साथ मेरे, जीतना तो है। बैरियों के दूत आकर ,भेद मन का ले रहे हैं, कोई हृदय छूने न पाए, रोकना तो है। हैं चपल घोड़े सजग मेरे मनोरथ के रमन, तुम सारथी मेरे बनो,कामना तो है। रमाकांत त्रिपाठी रमन कानपुर उत्तर प्रदेश मो.9450346879