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संजय जैन बीना

*ख्यालों की रानी*
विधा : कविता

रखा कदम जब अपना 
तुमने मेरे शहर में। 
दिलकी धड़कने मेरी
बढ़ने लगी तेजी से। 
लगा तब कोई अपना
आज आ गया है दिलमें। 
जो नया आलाप छेड़कर
सजा रहा है मोहब्बत को।। 

कदम रखते ही तुमने
खिला दिया मेरे दिलको। 
जहाँ था वर्षो से अंधेरा
वहाँ उजाला कर दिया। 
तन्हा जीने वाला भी
मोहब्बत को लालचा उठा। 
और तुम्हें अपनी जिंदगी का 
हमसफर बनाने को मचल उठा।। 

बहुत कुछ है तुम में 
जो तुम्हें खुद पता नहीं। 
हो तुम दिलों की धड़कन
शायद ये भी तुम्हें पता नहीं। 
हो इतनी सुंदर और चंचल
की तरसते है तुझे देखने को। 
कुछ तो बिना देखे ही घायल है
मेरे शहर के कितने लोग।। 

बड़े अजबी किस्से है 
तेरी मोहब्बत के मेहबूब। 
न देखा था न जाना था
बस सपनो में आना-जाना था। 
एक भोला सा मासूम चेहरा
जो ख्यालों में दिखता था। 
और जिसे हकीकत में पाना 
बहुत ही मुश्किल था।। 

पर कभी कभी सपने भी
हमने सच होते देखे है। 
औरो की क्या बात करे
हम तो खुद इसे साक्षी है। 
जो अपने ख्यालों की 
रानी के साथ जी रहे। 
और मोहब्बत का पैग़ाम 
अपनी लेखनी से दे रहे है।। 

जय जिनेंद्र
संजय जैन बीना मुंबई
05/04/2022

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