ये कैसी विवशता है
सब प्राणियों में श्रेष्ठ है मानव
ज्ञान भी बड़ा विशाल है
फिर भी आत्महत्या क्यों करते है
जबकि दुसरे प्राणियों को नही देखा है
ये कैसी विवशता है।
ज्ञान मिला भगवान मिला
जीवन में अचानक सब कुछ मिला
पर ऐसी कौन सी शक्ति है
जिसके कारण हम,आत्महत्या की ओर
खींचे चले आते है
ये कैसी विवशता है।
कर्मो की खेती में हमनें
न जाने क्या क्या बोया था
पिछले जन्मों को भूलाकर
सुख के झरनों को बहाया है
इस देह से करो सबकी सेवा
तू क्यों भया अज्ञानी
ये कैसी विवशता है।
तोड़ दें मोह माया के बंधन
छोड़ दें झूठे धंधे
चला जा प्रभु जी के शरण में
जिन चरणों में सुख ही सुख है
सुर दुर्लभ मानव तन पाकर
दृष्टा बनो जगत का।
सब प्राणियों में श्रेष्ठ है मानव
ज्ञान भी बड़ा विशाल है
फिर भी आत्महत्या क्यों करते है
ये कैसी विवशता है।
नूतन लाल साहू
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