*हाँ मैं भारत हूँ* ---
18/06/2022
आधार -- *थेथी छंद* ( मात्रिक ) आदि त्रिकल (14/10 ) , पदांत - 112
ध्यान ज्ञान चरमावस्था , तुरिय तथागत हूँ ।
कर्म काण्ड मंत्र प्रणेता , हाँ मैं भारत हूँ ।।
स्त्रोत अनगिनत हर संभव , नवयुग प्रेक्षक मैं ।
मान मिला मुझको जग में , नव अंकेक्षक मैं ।।
चार वेद पढ़कर देखो , पथ आध्यात्मिक हैं ।
मंत्र सूक्त पवित्र स्तुतियाँ , याज्ञिक आत्मिक हैं ।।
सामवेद यजुर्वेद ये , मंत्र संकलित हैं ।
शिष्ट अथर्व वेद द्रष्टा , ऋग्वेद फलित हैं ।।
ऋचा सूक्त से ये सज्जित , अष्टक मण्डल हैं ।
आर्ष ग्रंथ के उद्घाटक , सहस कमल दल हैं ।।
हस्तलिखित इन प्रतियों में , अद्भुत ओजस है ।
बद्ध संहिता व्यास रचित , जग हित औरस है ।।
पुरुष जन्य नहीं वरन यह , नारी शामिल है ।
पूर्वकाल से ही मादा , नर के काबिल है ।।
यज्ञ भूमि का प्रिय सर्जक , कुशल क्रमागत हूँ ।।
चित्य सदा मेरे हर गुण , हाँ मैं भारत हूँ ।।
----- *रामनाथ साहू* *" ननकी "*
*मुरलीडीह*
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