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अमरनाथ सोनी अमर

दोहा-एकता|

संविधान की एकता, समझ न पाए लोग|
है अनेकता देश में,कुछ जन मन का रोग||

भाईचारा एकता, में होता सब  कर्म| 
मंदिर-मठ पर घात हो, चुप हो सत्ता धर्म||

यही एकता देश में, किया कुठाराघात|
जिला मुजफ्फर गोधरा,जैसे बहुतों बात||

केशर देखो एकता,उससे कुछ लो सीख| 
गृह जन धन को त्याग कर, घूमे मागे भीख||

देखो कितनी एकता, निकले हिंद जुलूस|
पत्थर वर्षा हो रही, देख रहे मनहूस||

भारतीय की एकता, मजहब नहीं विशेष|
गोली बम बारूद से,शहर बचा कुछ शेष|| 

देख एकता लाडली,लेकर गए अनूठ| 
इज्जत बेइज्जत किए, काटे लेकर मूठ||

देख धार्मिक एकता, मंदिर-मठ कर युक्त|
गैर धर्म अनुदान दे,किए उसे है मुक्त||

देख एकता देश की, दो कानूनन लूट|
इक तो शासन फाँस में, दूजे खुली है छूट||

सरकारों की एकता, देखो शान उतान|
वृद्धि रोक जन वर्ग पर, कड़ी नीति प्रतिमान||



अमरनाथ सोनी अमर,

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