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विजय मेहंदी

' *।। सरस्वती वन्दना गीत ।।*

    तुम्ही शारदे , तुम्ही सरस्वती।
    हर एक हुनर में,तुम्ही हो बसती।
    तुम्ही ब्राह्मी , तुम्ही भारती।
    तुम्ही सुरों में , सभी के रहती।

    तुम्ही सारथी , तुम्ही सहारे।
    हर एक विधा को, तूं ही निखारे।
    आ आ आ आ आ ~~~~~~
    तुम्ही सारथी , तुम्ही सहारे।
    हर एक विधा को, तूं ही निखारे।
    तुम्ही विधा हो , तुम्ही विधात्री।
    तुम्ही हो कविता,तूं काव्य-शक्ती।
    तुम्ही शब्द हो , तुम्ही हो वाणी।
    तुम्हारे बिन हम, गुण-हीन प्राणी।
                                                                       
    अबोध नन्हें से बाल हम हैं।
    तुम्हारे बिन माँ , निढाल हम हैं।
    आ आ आ आ आ ~~~~~~
    अबोध नन्हे से , बाल हम हैं।
    तुम्हारे बिन माँ , निढाल हम हैं।
    तूं मातृ-दृष्टी बनाये रखना।
    शरण में अपने बिठाये रखना।
    तुम्ही शारदे , तुम्ही सरस्वती।
    हर एक विधा में,तुम्ही हो बसती।

गीतकार- विजय मेहंदी(कविहृदय शिक्षक)
कन्या कम्पोजिट उत्कृष्ट विद्यालय शुदनीपुर,मड़ियाहूँ,जौनपुर(उoप्रo) 9198852298

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