*मनहरण घनाक्षरी छंद*
विधान- 8,8,8,7=31 वर्ण प्रति चरण। प्रत्येक चरण की प्रथम, द्वितीय यति पर अंत्यानुप्रासिकता और चारों चरण समतुकांत। चरणान्त लघु गुरु।
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🌹 *होली न जलाइए* 🌹
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आज करके ठिठोली,
द्वैष की जलाओ होली,
होली होली होलिका की,
होली न जलाइए।
रंग बरसात हुई,
राधा राधा बात हुई,
सरारारा बोली बोली,
गोली न चलाइए।।
प्रेम की बजाओ बीन,
बोलो नहीं दीन हीन,
बोलकर मीठी बोली
बांसुरी बजाइए।
प्रेम की सजाए थाल,
मल लो गुलाल भाल,
गले में बैजन्ती माल,
कृष्ण को ही ध्याइए।।
*@मधुब्रत-सृजन-साधना*
*©® डॉ० ओम् प्रकाश मिश्र 'मधुब्रत'
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