21 मार्च " विश्व कविता दिवस " पर कविता पर ही सम्मानित साहित्यकार साथियों के सम्मान में प्रस्तुत मेरी यह मौलिक कविता : " कवि और कविता " -------
✍️ " कवि और कविता " 📖
कवि-कविता-कवित्त का
महके ऐसा इत्र
मानष को शीतल करे
गर्व करें सब मित्र।
कविता उर का भाव है
बिनु स्वर करती जिक्र
रहकर ये अनबोल भी
करती सब की फिक्र।
शक्ति कल्पना की आंके
कवि का रचित कवित्त
कविता कवि की भी करे
चित्रण सभी चरित्र।
सूरदास तुलसी कबीर की
कृति हैं रस की खान
मर के भी वे अमर हुए
कविता संग रसखान।
कलमकार- विजय मेहंदी (कविहृदय शिक्षक)
जौनपुर, उत्तर प्रदेश
सम्पर्क सूत्र- 91 98 85 22 98
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