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डॉ. हरि नाथ मिश्र

हिंदुस्तान
यह मुल्क़ हिंदुस्तान है ये मुल्क़ हमारा,
हमने इसे पल-पल है पसीने से सवाँरा।
गांधी-जवाहर-बोस की आँखों का है तारा,
हमने इसे पल-पल है पसीने से सवाँरा।।
          इस मुल्क़ में कोयल सुनाये गीत सुहानी,
          बहती हवा सदा बताए इसकी कहानी।
          सारे जहाँ का यही रहा सदियों सहारा,
          हमने इसे पल-पल है पसीने से सवाँरा। if।
                         यह मुल्क़....
इसकी बसंती बास में है प्यार की खुशबू,
ऋतुएँ तमाम करतीं फिरें सबसे गुफ़्तगू।
गुलशन में खिले फूल लगें जैसे सितारा-
हमने इसे पल-पल है पसीने से सवाँरा।।
                         यह मुल्क़....
इस मुल्क़ में बहती सदा गोदावरी-गंगा,।
मेहनतकशों के रंग में यह देश है रँगा।
खेतों में हिंदुस्तान के जीवन की है धारा,
हमने इसे पल-पल है पसीने से सवाँरा।।
                         यह मुल्क़....
आपस में नहीं जंग यहाँ नहीं दुश्मनी,
हिन्दू-मुसलमाँ-सिख-इसाई में है बनी।
चारो-तरफ़ इंसानियत का मस्त नज़ारा,
हमने इसे पल-पल है पसीने से सवाँरा।।
                          यह मुल्क़....
इसके लिए हम खून-पसीना बहाएँगे ,
मर जाएँगे,मिट जाएँगे, ना सिर झुकाएँगे।
एक बार छक गए हैं ना छकेंगे दोबारा,
हमने इसे पल-पल है पसीने से सवाँरा।।
                          यह मुल्क़....।।
                        ©डॉ. हरि नाथ मिश्र
                           9919446372

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