21 मार्च " विश्व वन दिवस " पर एक आह्वान--
लगाओ धरा पर तुम वृक्ष इतने,
धरा ये अछूती कहीं रह न जाये।
ला दो हरितिमा यूं तुम धरा पे,
नीले गगन सी , हरी धरा ये सुहाए।
हो बरसात जिससे इतनी धरा पे,
जमीं कहीं बंझ धरा की रहने न पाये।
बर्फबारी हो धरा पर यूं खूब जमकर,
शृंखलाएं सफेद चादर से ढ़क जायें।
ठंढ़क बढ़े धरा पे कुछ माष दिवस तक
तपिस इस धरा पे और बढ़ने न पाये।
हो हिम संघनन उन दोनो ध्रुवों पर,
सागर का जलस्तर कहीं बढ़ने न पाये।
वृक्षों की रक्षा हम करें इस कदर कि,
हरे वृक्ष काटने की हिम्मत न आये।
लें ये संकल्प हम सब मिलकर दिल में,
बहुगुणा की आत्मा को शान्ती पहुंचाए।
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रचना- विजय मेहंदी (कविहृदय शिक्षक)
कन्या कम्पोजिट विद्यालय शुदनीपुर,मड़ियाहूँ,जौनपुर(उoप्रo)
9198852298
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