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नूतन लाल साहू

मोर सोनहा गांव गंवागे

जंगल झाड़ी बाग बगीचा
जलरंग पानी नदिया नरवा
भइयाँ मोर कहां लुकागे जी
चारों खुट छाए हे कुलुप अंधियार
मोर सोनहा गांव ह गंवागे
मय खोजव कइसे जी, मय खोजव कहां ले जी।
आवत हे अवइया ह
जावत हे जवइया ह
बाचे हे कहवइया ह
साखी हे डोकरा अउ अकास ह
सिरिफ सुरता ह बाचे हे संगी
चारों खुट छाए हे कुलुप अंधियार
मोर सोनहा गांव ह गंवागे
मय खोजव कइसे जी, मय खोजव कहां ले जी।
पैलगी जोहार सबों बतियाय
आज भुलागे
मोर धकले जीवारा होवत हे
आगे मोला तिजरा बुखार
अलिन गलिन म खोजत रहिथव
बइहा कस संगवारी
चारों खुट छाए हे कुलुप अंधियार
मोर सोनहा गांव गंवागे
मय खोजव कइसे जी, मय खोजव कहां ले जी।
एक सुनता म हम मन रहन
जइसे बहिनी भाई
माटी के मकान रहय
नींद आवय रात म बड़ भारी
चारों खुट छाए हे कुलुप अंधियार
मोर सोनहा गांव ह गंवागे
मय खोजव कइसे जी, मय खोजव कहां ले जी।

नूतन लाल साहू

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