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अमर क्रांतिकारी गंगू मेहतर - डाॅ प्रखर दीक्षित

*लघु नाटिका*

*अमर क्रांतिकारी गंगू मेहतर*
                  ~~~~~~~~~~~~~~

*स्थान- बिठूर कटरी का सुनसान क्षेत्र*

 *समय : दिन ( पूर्वाह्न 11:00 बजे)*

               *पात्र -*
                        *गंगू मेहतर - बहादुर जांबाज क्रांतिकारी*

                        *चंद्रबली - सरकारी वकील*

                        *पं० राम गुलाम- बैरिस्टर, बचाव पक्ष वकील*

                         *एलिस, जोसेफ, दीनू' ,फेरू - सरकारी पक्ष गवाह*

                          *एल्फ्रेड विक्टर- सेशन जज*

                         *नाना साहब पेशवा - बिठूर के शासक*

                         *मृणालिनी - पेशवा की पत्नी , विमर्शी सलाहकार*

                         *तात्या टोपे - बिठूर राज के महामात्य एवं पेशवा के निकटम मित्र*

                        *अजीमुल्लाह - पेशवा परिषद के सलाहकार तथा नाना साहब के घनिष्ठ  मित्र*

                         *जाॅन निकोलस - प्रशासनिक अधिकारी*

                         *गुप्तचर , जेलर, पुलिस अधिकारी, पुजारी , जल्लाद , दो पुलिस कर्मी इत्यादि*
   
                    *दृश्य -एक*

( *दृश्य* - मन्च पर अंधेरा है। एक , मध्दिम लाइट गंगू मेहतर की आत्मा पर फोकस है। गंगू की आत्मा मंच के बीचो बीच जमीन पर बैठी है। सिर घुटनों के मध्य नीचे की ओर झुका है। उसके निकट (गाँव में पशुओं की जगह और रास्ते साफ किए जाने वाला अरहर के पौधे का) झाडू (बाड़ा , बुहारन) दीवार से टिका है। पृष्ठभूमि में धीरे-धीरे सांय-सांय की अनजानी आवाजें रुक-रुककर आ रही हैं। तभी गूगू मेहतर का गंभीर स्वर उभरता है। )

 *गंगू की आत्मा* - (निःशब्दता को चीरता स्वर) मैं गंगू मेहतर .......हाँ सही पहचाना आपने , आपका अपना गंगू.......मेरे अपने शागिर्दों, दोस्तों का गंगू पहलवान  या यूँ कह लीजिए गंगूदीन.....जिसे अपनी देशभक्ति का खामियाजा ...... दिन दहाड़े अंग्रेज सरकार ने मुझे पेड़ पर लटका दिया।तब भी वे मेरे और मेरे जैसे हजारों देशभक्तों का गला नहीं घोंट सके और इतना ही नहीं द्रोही अंग्रेज परस्त इतिहासकारों ने मेरे जैसे कई अनाम क्रांतिकारियों के आत्मोसर्ग को भुला दिया। मेरे त्याग मेरी शहादत को चंद  कुटिल इतिहासकारों ने मुझे इतिहास का पन्नों से ओझल कर दिया। मैं आज अपनों के बीच उस सच को बताने आया हूं , जो मंगल पांडे की शहादत के बाद घटित हुआ।अंग्रेज सरकार के खिलाफ क्रांतिकारियों ने जो इंकलाब की लौ जलाई। उस प्रचंड अग्नि की ज्वाला में अंग्रेज सरकार भस्म हो गई और देश ने आजादी की सांस ली ।
 
              (कुछ अंतराल रुककर......)

            बात उन दिनों की जब मेरे बाबू जी मंगनू लाल कानपुर के अकबरपुर गाँव में पैतृक घर में रहते थे। समाज के दबंग ठेकेदारों के क्रूर व्योहार, बेगारी और .......और शोषण से दुखी रहते थे। उसी दौरान मेरा जन्म हुआ। मुझे सुरक्षित रखने की गरज से  वह कानपुर शहर के चुन्नीगंज  मुहल्ले में आकर बस गए। 

           हंसता खेलता बचपन बीता ..... किशोर ने जवानी की दहलीज पर कदम रखा। पहलवानी के दाँव सीख पहलवान बन  गया।बिठूर  के शासक नाना साहब पेशवा के यहाँ नौबत का नगाड़ा बजा रोजी- रोटी का सहारा बनाया। कुछ दिनों बाद नाना साहब पेशवा की सेना में भर्ती हुआ... दिलेरी और बहादुरी ने फौज में सूबेदार  का ओहदा दिलाया।

           जरा याद करिए.. आप......सन् 1857 में मेरठ छावनी सैनिकों का वह गदर । सिपाही मंगल पाण्डे की क्रातिकारी हुंकार...
 अंग्रेजों के अत्याचारों के खिलाफ हिंदुस्तानियों का बुलंद क्रोध ...
                      (कुछ रूककर..)

             कानपुर शहर और आसपास के जिलों में क्रांति चिंगारी ज्वाला बनकर दहकने लगी। बिठूर और छावनी  की आब ओ हवा तेजाबी  बन गयी। पेशवा की सेना के खप्पर में तलवार को तपन और बारूद दहकने लगा। वहीं फिरंगी अफसरों के हाथों से तोते उड़ने लगे। ( अब आगे. ......)

       (धीरे-धीरे स्वर धीमा और मंच पर अंधेरा-पटाक्षेप )

( *दृश्य* -नाना साहब पेशवा अपनी पत्नी के  साथ आसीन हैं। सामान्य कक्ष सजा है। समुचित प्रकाश व्यवस्था)

*मृणालिनी* - अजी..... श्रीमंत जी! आज किस चिंता में उलझे हैं। अपनी चिंताओं का साझीदार नहीं बनाएंगे हमें।)

*नाना साहब* - (मुस्कराते हुए) नहीं..... नहीं ऐसी कोई बात नहीं है। 

*मृणालिनी* -(हंसते हुए) मुझे आपको पढ़ना आता है..... मैं आपकी अर्धांगिनी हूँ और गोपनीय सलाहकार भी। 

*नाना साहब*-  (आश्चर्य से) अच्छा।

*मृणालिनी*- जी...... (इंगित करते हुए) इस सीने में बहुत से राज दफन हैं , सुना दीजिए .... यह राज भी दफन रहेगा।

*नाना साहब* - यही कि इस सैनिक गदर और स्वातंत्र्य क्रांति केबिगुल पश्चात बिठूर की सेना अंग्रेजों पर कैसे भारी पड़ेगी।

*मृणालिनी*- श्रीमंत जी.... गंगा मैया की सौगंध हमारा बिठूर का साहस अंग्रेजों की ईट से ईंट बजा देगा।

  (तभी खट-खट की आवाज़ )

*मृणालिनी* (सतर्क होते हुए) कौन.... ?          
   
           (परिचारिका केतकी का प्रवेश) 

*परिचारिका* - ( अभिवादन करते हुए) रानी जी प्रणाम.....।

*मृणालिनी*- क्या हुआ...कोई आया है क्या ?

*परिचारिका* - श्रीमंत जी , माननीय  तात्या टोपे जी और अजीमुल्लाह खान जी का आगमन हुआ है। वह आसे भेंट करना चाहते हैं।

*नाना साहब* - ( उत्सुकता  के साथ) अरे देवी! आज मुझसे मिलने  दो विशेष विभूतियाँ एक साथ पधार रहीं हैं। 

*मृणालिनी* - श्रीमंत जी , अवश्य ही आज कोई विशेष प्रयोजन होगा?

*नाना साहब*  - हाँ देवी आप कदाचित रही कह रही है।

*मृणालिनी*-    (परिचारिका  को देखकर) अतिथियों  को  कक्ष में भेज दो।

( परिचारिका प्रणाम करके कक्ष से बाहर चली जाती है।)

( तात्या टोपे और अजीमुल्लाह का कक्ष में प्रवेश)

 *तात्या टोपे* - श्रीमंत जी सादर प्रणाम। (हंसते हुए)

*अजीमुल्लाह* - ( सजदा करते हुए) अस्सलाम वालेकुम जनाब पेशवा ।

             (नानासाहब उठकर स्वागत करते हैं ।)

*नाना साहब* - (हाथ जोड़कर) प्रणाम... अतिथियों का राजप्रासाद में अभिनंदन है।

*तात्या टोपे*-  (पेशवा की पत्नी से) प्रणाम स्वीकारिए रानी जी।

*पत्नी* - आदरणीय सानंद  और चिरायु हों।

                (पेशवा बैठने का आग्रह कर करते हैं)

*नाना साहब*  - आप महानुभाव आसन पर विराजिए।

 *अजीमुल्लाह* - जी जरूर.. ....शुक्रिया।

*तात्या टोपे* - धन्यवाद महोदय !

*नाना साहब*  - (पत्नी की ओर) देवी, इन्हें आप जानती हैं .....ये अपनी छबीली मनु के शास्त्र और शस्त्र के गुरू और हमारे अंतरंग बचपन के मित्र। 

*मृणालिनी*- (आश्चर्य से) अच्छा तभी आपके अंर्त में इतनी व्यग्रता मिलने की थी और (अजीमुल्लाह की तरफ) इनका परिचय ?
 
*नाना साहब* - आप है जनाब अजीमुल्लाह खान जी मेरे परममित्र जिन्होनें  इंग्लैंड जाकर रानी विक्टोरिया से मिलकर खास जानकारियाँ हम तक साझा कीं।

*मृणालिनी*- (करतल ध्वनि) अत्यंत प्रसन्नता का विषय है। 

*नाना साहब*  - महामात्य तात्या जी अंग्रेजी राज की क्या खबरें हैं। 

*तात्या टोपे* - (गंभीर मुद्रा) हमारी सेना सर्तक है। हर राष्ट्रवादी में जज्बा है और गुप्तचर तंत्र अपने मिशन से लगा है।

*नाना साहब*  - अति उत्तम महामात्य ... और दोस्त अजीमुल्लाह हुकूमत के अंदर। 

*अजीमुल्लाह*- जनाब बरतानियां हुकूमत शह और मात के खेल में माहिर है......वो कमजोर कड़ी की तलाश  में है, लेकिन हमारे  कई इंडियन मुलाजिम हमारी मादरे हिंद की आजादी के  काम पर लगे है... देखिए नतीजा बेहतर होगा।

*नाना साहब*  - मुझे यही आशा थी। ........शुभ हो। 

*परिचारिका*- श्रीमंत जी, (हाथ जोड़कर) प्रहरी के साथ में हमारी सेना के  सहसेनापति सूबेदार गंगू जी आपसे मिलकर कुछ बात करना चाहते हैं... आपकी आज्ञा की प्रतीक्षा है।

*नाना साहब* - (हाथ उठाकर ) हाँ केतकी आज्ञा है. उन्हें सम्मान

सहित भेज दो। 

*परिचारिका* - ( हाथ जोड़ते हुए) महाराज की जय ...प्रणाम। 

           (पारिचारिका केतकी बाहर निकाल जाती है।)

              (प्रहरी और सूबेदार गंगू का कक्ष में प्रवेश)

*गंगू* - (हाथ जोड़़कर) प्रणाम महाराज.... जै गंगा मइया की।

*नाना साहब* - (वर मुद्रा में हाथ) यशस्वी भव ... कहो कैसे मिलना हुआ सूबेदार गंगू। 

*गंगू*- ( नाना साहब की आंखों में झांकते हुए) कुछ विशेष विशेष बात करनी थी।

*नाना साहब*- अच्छा। 

*नाना साहब*- (प्रहरी से) इनके साथ आने की क्या आवश्यकता थी ....... यह तो हमारे विश्वास पात्रों में से एक हैं। इस पर तो मुझे अपने से अधिक विश्वास है.... आप जा सकते हैं। 

        ( प्रहरी अभिवादन करके वहाँ से चला जाता है) 

*नाना साहब* - हाँ सूबेदार गंगू अब कहो...... अंर्तमन की बात ....कहीं मेरी और आपकी चिंताओं का कारण कहीं एक ही तो नहीं ?

*गंगू*-  महाराज मेरठ की क्रांति और गदर की आग से कानपुर भी सुलग रहा है.... अंग्रेजी कुत्ते - गीदड़ महफूज ठिकाना ढ़ूंढ़ रहे हैं।

*नाना साहब*- (चिंतन मुद्रा में) तो इस हालात में अंग्रेजी  अफसर दमनकारी नीति अपनाएंगे। हमारे नागरिकों, नेताओं और सैनिकों को हानि पहुँचाने का भरपूर प्रयास करेंगे।

*गंगू* -  श्रीमंत इतना ही नहीं अंग्रेजी पुलिस और गुप्तचर हमारी विरोधी सूचनाएं टोह रहे हैं। 

*नाना साहब* - (कुछ जानने की जिज्ञासा) तो फिर इस पर......हमारी क्या योजना बनायी गयी है। 

गंगू* - महाराज ...... हम भारत माता की रक्षा और आपकी राजाज्ञा पर अपने लहू की बूंद-बूँद न्योछावर कर देंगे ।

*नाना साहब* - जय माँ भवानी .... गंगा मैया हम पर कृपा रखें।

*गंगू* - बस आप हम पर विश्वास रखिए.....सफलता हमारे कदम चूमेगी।

 *नाना साहब* - (गर्व से जोश में) (उठते हुए) मेरा विश्वास सूबेदार गंगू आपके साथ ही है।...... वीर भोग्या वसुन्धरा ।

*गंगू* - महाराज आज्ञा दीजिए ..... तैयारियों का अंतिम रुप अभी शेष है। हम जल्दी ही मिलेंगे। प्रणाम .... भारतमाता के जय। 

 (तभी अचानक एक गुप्तचर मुँह बांधे बिना रोक-टोक घबराया सा का कक्ष में प्रवेश। सभी चकित होते हुए गुप्तचर को देखते है। )

*तात्या टोपे* - (गुप्तचर से) बहादुर  सैनिक अपना परिचय देते हुए समाचार पर प्रकाश डालो। 

*गुप्तचर* -(हाथ जोड़़कर) प्रणाम महोदय ...... (अपना मुँह खोलता हुए) मैं विशेष स्थानीय गुप्तचर इकाई 3(तीन) का गुप्तचर फार्मूला फोट्टी फोर राम रहीस हूँ। अभी छावनी से लगे इलाके भैंरों घाट से आ रहा हूँ ।

*नाना साहब* - (सीधे बैठते हुए) कोई विशेष सुचना। 

*गुप्तचर*- श्रीमंत जी आज से चार दिन बाद दिन के तीसरे पहर में अंग्रेजी  सेना का  जनरल व्हीलर अपने परिवार और कई बटालियन के साथ पूरब से गंगा पार करके फतेहपुर के रास्ते बिठूर पर हमला करने आ रहा है।........
             .........( एक कागज देते हुए) ये  रहा रूट चार्ट। 

*तात्या टोपे*-  (उत्साहवर्धन करते हुए) शाबास सैनिक......उत्तम, अति उत्तम. .......तुम जा सकते हो। 

*अजीमुल्लाह* - यही जज्बा तो मादर ए हिन्द को आजाद कराएगा।

       (इसी के साथ गुप्तचर मुँह को बांधता है और अभिवादन करके निकल जाता है।)

*गंगू* - (चेहरे पर भागिमाएं बदलीं) श्रीमंत गुप्त सूचनाओं के आधार पर हम चुन्नीगंज से बिठू र के बीच मौका ताड़़कर कहर बरपा कर देंगे । 

नाना साहब - इसका मतलब ..... अंग्रेजी सेना हमारे बिठूर पर   पूरी तरह आक्रमण करने के लिए अवसर की ताक में है.....कदाचित उन गीदड़ों को पता नहीं........ हम अहिंसक हैं नपुंतक नहीं.......

तात्या टोपे -  - महाराज  सत्यवाचन।

नाना साहब - (आवेश में) हम भृगु ऋषि के वंशज हैं। हमारे एक हाथ में शास्त्र तो दूसरे हाथ में शस्त्र है। हमें रणनीतिक और कुटनीति पर तुरंत कार्य योजना बनाना चाहिए।  गोक

तत्या टोपे - (गंभीर मुद्रा में) कहिए श्रीमंत. .....

नाना साहब - मित्र तात्या, जो आप शीघ्र खजाना, रसद, शस्त्र भंडार ,नागरिकों परिवारों को सुरक्षित और पहुँच के स्थान पर स्थानांतरित  कर दें........खजाना, रसद, शस्त्र इत्यादि का पर्याप्त प्रबंध जरुरी है, जरुरत पर अंग्रेजों का  खजाना ,हथियार, भंडार लूटना है। आप गुप्तचर तंत्र सक्रिय रखिए। 

समवेत स्वर - जी श्रीमंत सही योजना है।........अच्छा विचार |

नाना साहब - (अजीमुल्लाह से) अजीमुल्लाह जी आप  कानपुर, लखनऊ,  कलकत्ता के ऊँचे अंग्रेज अधिकारियों से मिलकर उनकी कमजोरियाँ तलाशिए, ताकि उनकी दुखती रगों को दबा सकें।

अजीमुल्लाह- जो हुक्म जनाब पेशवा ......  मैं पेशेवर डिप्लोमेट हूँ......इंशा अल्ला इस मिशन में कामयाबी कदम चूमेगी आप उम्मीद रखिएगा। 

नाना साहब - अब आप सभी जा सकते हैं। शुभमस्तु।

 (सभी अपने आसन से उठकर आभिवादन करते हुए चले

जाते हैं।)

 (नाना साहब खडे होते हैं। मंच पर आंशिक प्रकाश, मंच पर लाइट नाना साहब पर फोकस है।) 

नाना साहब - (अपने से बातचीत) अब अंग्रेजों से लोहा लेने का  समय आ गया है। मैं अपने राज्य की सुरक्षा अपने रक्त की आखिरी बूंद तक करूँगा। 

(मृणालिनी को सम्बोधन)

नाना साहब - (मृणालिनी को बिना देखे) मृणालिनी मेरे भाल पर अब तुम्हारे द्वारा विजयी तिलक लगाने की बेला आ गयी है.....  जय भवानी.

                   (मंच पर अंधेरा- पटाक्षेप)

                            दृश्य- तीन (3)

(दृश्य - नाना साहब का निजी कक्ष, एक  राजसी आसन और दीवार पर माँ काली का चित्र टंगा है। समुचित प्रकाश व्यवस्था।)

( एक ओर से नाना साहेब युद्ध की वेषभूषा में प्रवेश करते हैं। दूसरी ओर से मृणालिनी हाथ में (प्रज्जवलित आरती) पूजा थाल तथा परिचारिका केतकी है तलवार रखी थाली हाथ में लिए प्रवेश करती हैं।) 

मृणालिका. (निकट आकर नाना साहब का विजयी तिलक

भाल पर करने के पश्चात तलवार भेंट करती है।) श्रीमंत जी विजयी भव । 

नाना साहब - (मृणालिनी के कंधे पर हाथ रखते हुए)  मृणालिनी , राज्य का दायित्व आपके कंधो पर है, और आप हमारी प्रतीक्षा कीजिए। हम अंग्रेज़ों को परास्त करके शीघ्र आयेंगे।

                               ('मंच पर अंधेरा - पटाक्षेप)

                                *दृश्य-चार*

( *दृश्य*- मंच पर आंशिक प्रकाश व्यवस्था, मंच पर भारतीय सैनिकों तथा अंग्रेजों से मुठभेड़ और भगदड़ का दृश्य ) 

         (भागमभाग , मारकाट जारी ...... लेकिन किसी का चेहरा स्पष्ट नहीं है। नेपथ्य में चीखने - चिल्लाने, मारो - काटो , पकड़ो, इधर से.....उधर देखो, हाय- हाय .......ओह माय गाॅड......गाॅड सेव.....हेल्प मी  .......  इंडियन आर नॉट फेयर ..... इंडियन आर वेरी डेंजरस् मेन की मिली जुली आवाजें उभर रहीं हैं ....... वहीं घोड़ों की टापें, गोली बमों की दिल दहला देने वाली आवाजें धमाके भय का वातावरण बनाती हैं। कुछ अंतराल के उपरांत धीरे-धीरे माहौल शांत होता है। मंच खाली हो जाता है। मंच पर पूरा प्रकाश है। अब आगे......)

*सूत्रधार* - (नेपथ्य से स्वर उभरा) खूंखार क्रांतिकारी सूबेदार गंगू ने अपने विश्वसनीय शागिर्द सैनिकों के साथ अंग्रेजी सेना का जनरल व्हीलर अपने परिवार और सैनिकों के साथ कानपुर वापस आ रहा तो फतेहपुर -बिठूर के बीच दो सौ से अधिक अंग्रेज अफसरों , सैनिकों को तलवारों - बंदूकों से मौत के घाट उतार दिया। घबरायी अंग्रेजी हुकुमत गिरफ्तार करने के लिए कुत्तों की तरह सूंघ रही थी। आखिर मुखबिर की सूचना पर कम्पनी बाग के कटरी इलाका में अरेस्ट कर हिरासत में लिया गया। सूबेदार गंगू को हथकड़ी-बेडी पहना कर घोड़े की पीठ पर बांधा गया। उन्हें पूरे शहर में घुमाया गया। सूबेदार गंगू पर अंग्रेज पुलिस ने महिलाओं और बच्चों पर झूठे अत्याचार अनाचार का केस दर्ज कर सेशन कोर्ट में पेश किया गया। अब आगे....) 

        *( मंच पर अंधेरा - पटाक्षेप)*

                         *दृश्य-पांच*

(*दृश्य* - सेशन कोर्ट का कक्ष , पीछे दीवार पर यूनियन  जेक , दर्शक दीर्घा में खचाखच भीड़ है।  जज की कुर्सी तथा दोनों बॉक्स(कटघरा) खाली हैं। सरकारी और बचावपक्ष वकील सामने खड़े है। समय-1100बजे)

      (नेपथ्य से आवाज गूंजी - सेशन जज साहब पधार रहे हैं )

 (सेशन जज का आगमन,जज सामने खडे होते हैं, सभी दर्शक खड़े होकर अभिवादन करते हैं। जज के साथ ही सब बैठते हैं।)

*सेशन जज*- आज कार्यवाही स्टार्ट करो। 

             (कोर्ट रीडर केस फाइल जज को देता है)

*सेशन जज* - एक्यूज्ड सूबेदार गंगू को कोर्ट ने पेश करो।

 ( पुलिस सूबेदार गंगू की हथकड़ी खोलकर आरोपी कटघरे में खड़ा करती है।)

*सेशन जज* -(सरकारी वकील से) आज का कोर्ट प्रोसिडिंग्स् स्टार्ट किया जाए।

*चन्द्रबली*- यस .....मी लार्ड। 

*सेशन जज* - (सूबेदार गंगू को देखते हुए) टुमारा ऊपर यंग लेडीज़ का मोडस्लेशन, एब्यूजिंग एण्ड लेडी के साथ चिल्ड्रेन  को मर्डर करने का सीरियस चार्ज फ्रेम हो गया है। तुमको क्या कहना है?

*गंगू* -  हुजूर ये कि केस झूठा है .....  जिसको मारा गया उसका नाम नहीं. .... हिन्दुस्तानी कभी भी महिला और बच्चों पर न बुरी नजर रखता है और न ही मारता है। ये हमारी संस्कृति मे नहीं है।

*सरकारी वकील*- (बीच में ही) मी लार्ड,  विटनेस आर हेयर   एण्ड केस इज प्रूव्ड बाई आल विटनेस ऐलिस, दीनू, जोसेफ एण्ड फेरुज स्टेटमेंटस्।

*बचाव पक्ष वकील* - आई आब्जेट योर आनर .....दिस इज नॉट फेयर.. यह  आरोप झूठा और निराधार है। 

*सरकारी वकील*- (जोर देते हुए) मेरे काबिल दोस्त मिस्टर पं० राम गुलाम को शायद नहीं पता है कि केस के गवाहों ने गंगू के खिलाफ बयान दियगा है। 

*सेशन जज* -   मिस्टर बेरीस्टर पं०रामगुलाम ....केस इज फाइनल।

*गंगू* - (गुस्से में) जहाँ पर कानून पक्षपाती हो , अंधा हो और पुलिस चाँदी के सिक्कों में अपना जमीर बेच दे वहाँ अंधे पीसते  और कुत्ते खाते हैं। 
                     (दर्शक दीर्घा में कानाफूसी) 
      (सेशन जज टेबल पर आर्डर ..... आर्डर के संग ही ..... हथौड़ा  ठोकता है)

*सेशन जज* -  साइलेंट नो मरमरिंग इन कोर्ट। 

*सरकारी वकील* - मी लार्ड, जजमेंट सुनाया जाए।

*सेशन जज* - (कुछ लिखते हुए) दिस केस इज रेयर आफ द रेयर केस क्रिमिनल सुबेदार गंगू  इज गिविन डेथ सेनटेंश (Sentence) टिल हू इज लाइव इन पब्लिक प्लेस फार एग्जाम्पल। 

*सेशन जज*- ( पुलिस से) प्लीज गो बैक एण्ड टेक फरदर ऐक्शन।  

      ( पुलिस क्रांतिकारी गंगू को लेकर चली जाती है।)

                     (मंच पर अंधेरा और पटाक्षेप)

                          *दृश्य- छह*

(*दृश्य* - मंच पर एक रस्सी फंदे के साथ लटक रही है। मंच पर स्तब्धता है।, पूरा प्रकाशमय मंच)

(पुलिस अधिकारी,मजिस्ट्रेट,  जेलर, डाक्टर, जल्लाद पुजारी,अंगेज प्रशासनिक अधिकारी जाॅन निकोलस का मंच पर प्रवेश। दोनों ओर सभी खड़े होते हैं।

(नेपथ्य से स्वर गुंजायमान होता है- )
          *हिन्दी है हमवतन हैं, हिन्दोस्ताँ हमारा....."*

           *शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले*
          *वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा*

(इसी को गाते हुए पुलिस कर्मियों के साथ क्रांतिकारी गंगू का प्रवेश।गंगू फंदा के सामने खड़े होते हैं। जेलर फंदा और सभी प्रबंध चेक करता है।)

(प्रशासनिक अधिकारी जाॅन निकोलस गंगू के पास आकर बोला)

*जाॅन निकोलस* - तुम अब गाॅड का प्रे करो, तुम्हें हैवन में जगह देगा एण्ड योर ऐनी लास्ट च्वाइस |

*गंगू* - (गर्व से) मिस्टर जाॅन मुझे भारतमाता को देखना है और कुछ कहना है.......।

( पुजारी गीता और भारत माता का चित्र लेकर गंगू के पास जाते हैं ।)

*पुजारी* - (गीता आगे बढ़ाते हुए और भारत माता का चित्र दिखाते हैं) महाशय पहले पवित्र गीता पर हाथ रखो और योगेश्वर कृष्ण को स्मरण करो। इस भारतमाता को निहारो एक दिन अवश्य आजाद होगी। 

                   (पुजारी पीछे आते हैं)

*जाॅन निकोलस* - हाँ कहो क्या कहना है.... गंगू आखिरी बात !

*गंगू* - (गंभीर होते हुए) जब मजलूम गरीब लाचार किसानों, औरतों और बच्चों के साथ जानवरों जैसा वहशी बर्ताव अंग्रेज दरिंदे करते हैं ....... कारतूस पर गाय और सुअर की चर्बी लगाकर भारतीय सैनिकों की आस्था - ईमान से खेला जाता है,..... तब मेरठ छावनी में जांबाज मंगल पाण्डे जैसा सैनिक क्रांति विस्फोट की चिंगारी पैदा कर प्रचंड ज्वाला बनाता है। जिसमे - तपकर हजारों गंगू मेहतर भारतमाता की कोख से पैदा होते है। आज मेरी शहादत प्रमाण दो ......क्या गंगू मेहतर के नाम को यह कायर अंग्रेज कभी मिटा पाएंगे। स्वतन्त्रता के हवन के लिए आखिरी सांस तक हमारे लहू का कतरा-कतरा अंग्रेजों की क्रूरता का मुँहतोड़ जबाब देकर को हुंकार भरेगा

         *भारत माता की जय.. इंकलाब जिन्दाबाद. ..... भारत माता  की.......गंगा मइया की जय"*

       (जेलर गंगू को नकाब पहनाता है।फंदा गले में डालता है... और वापस नेपथ्य में चला जाता है। )

*जेलर* - (जोर से ) सावधान 

              
                (नेपथ्य से एक स्वर उभरा) 

   *"सूत्रधार - शहादत के साथ छल करने वाला क्या इतिहासकार  होगा?  भारतमाता की जय"*)

             ( इसी के साथ मंच पर अंधेरा-पटाक्षेप)

                                      (समाप्त)

*नाट्य लेखन*-

*डाॅ प्रखर दीक्षित*
*फर्रुखाबाद*

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राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को उत्कृष्ट कविता लेखन एवं आनलाइन वीडियो के माध्यम से कविता वाचन करने पर राष्ट्रीय मंच द्वारा सम्मानित किया गया। यह मेरे लिए गौरव का विषय है।

डा. नीलम

*गुलाब* देकर गुल- ए -गुलाब आलि अलि छल कर गया, करके रसपान गुलाबी पंखुरियों का, धड़कनें चुरा गया। पूछता है जमाना आलि नजरों को क्यों छुपा लिया कैसे कहूँ , कि अलि पलकों में बसकर, आँखों का करार चुरा ले गया। होती चाँद रातें नींद बेशुमार थी, रखकर ख्वाब नशीला, आँखों में निगाहों का नशा ले गया, आलि अली नींदों को करवटों की सजा दे गया। देकर गुल-ए-गुलाब......       डा. नीलम

रमाकांत त्रिपाठी रमन

जय माँ भारती 🙏जय साहित्य के सारथी 👏👏 💐तुम सारथी मेरे बनो 💐 सूर्य ! तेरे आगमन की ,सूचना तो है। हार जाएगा तिमिर ,सम्भावना तो है। रण भूमि सा जीवन हुआ है और घायल मन, चक्र व्यूह किसने रचाया,जानना तो है। सैन्य बल के साथ सारे शत्रु आकर मिल रहे हैं, शौर्य साहस साथ मेरे, जीतना तो है। बैरियों के दूत आकर ,भेद मन का ले रहे हैं, कोई हृदय छूने न पाए, रोकना तो है। हैं चपल घोड़े सजग मेरे मनोरथ के रमन, तुम सारथी मेरे बनो,कामना तो है। रमाकांत त्रिपाठी रमन कानपुर उत्तर प्रदेश मो.9450346879