प्रथम राष्ट्र संकल्प हमारा जीवन हो त्याग समान,
मातृ भूमि पर मर - मिट जाएं यही है सच्चा हिंदुस्तान!
शिक्षा यदि लाचार बनाए, त्यागो उसको छोड़ के आओ,
राष्ट्र प्रेम जो भर न सके ऐसे व्यर्थ ज्ञान को आग लगाओ।
यदि अमृत की चाह रखो तो विष भी पीना सीखो तुम,
बलिदानों के जन्मे युग में चलो उसी पथ पर अब तुम।
वह शिक्षा व्यर्थ अधूरी है, जो सर्वश्रेष्ठ का ना दे मान।
मातृ भूमि पर मर - मिट जाएं यही है सच्चा हिंदुस्तान!
क्षमता है जीवन का स्वर दुर्बलता है मृत्यु समान,
राष्ट्र रहेगा तभी प्रखर जब त्याग करें सब वीर महान।
न डरा काल से ना संकट से बनो शिवा सा विषधर आज,
हर शत्रु के प्रहार से पहले दो रण में संकल्प का साज।
जो राष्ट्र झुके मिट जाए वह, बस बचे वहीं वीरों का गान।
मातृ भूमि पर मर - मिट जाएं यही है सच्चा हिंदुस्तान!
अब शांति नहीं रणभेरी होगी शक्ति नीति के काल का
विजय हमारा लक्ष्य बना है प्रजाजनों के भाल का।
राष्ट्रप्रेम हो धर्म हमारा कर्तव्य बने गीता का ज्ञान,
उठो, चलो उस यज्ञ पथ पर, जहाँ हो केवल बलिदान।
मृत्यु से जो डरे नहीं है, उस अमरत्व का रहता मान।
मातृ भूमि पर मर - मिट जाएं यही है सच्चा हिंदुस्तान!
नव रक्त चाहिए इस मिट्टी को, नव युग के निर्माण हेतु,
हों तैयार सपूत हमारे, अंतिम क्षण तक रण की सेतु।
जो मर कर भी अमर बनें, इतिहास उन्हें जय कारे दे,
हर जननी उस शूरवीर को, स्वाभिमान के तारे दे।
जो राष्ट्र झुके मिट जाए वह, बस बचे वहीं वीरों का गान।
मातृ भूमि पर मर - मिट जाएं यही है सच्चा हिंदुस्तान!!!
दुश्मन को उसके भाषा में समझाओ तो लोहा मान सके,
दया नहीं जब नीति बिगड़े, तब प्रहार भी सम्मान सके।
हम युद्ध नहीं चाहते लेकिन, डर कर भी जीना कैसा?
जीवन वही सफल होता है, जो मातृभूमि पर अर्पण ऐसा।
सामर्थ्य ही जीवन का दीपक, दुर्बलता तो मृत्यु समान,
मातृ भूमि पर मर - मिट जाएं यही है सच्चा हिंदुस्तान!!!!
मैंने काल को ललकारा है, क्या तुम तैयार खड़े हो आज?
जलाओ भीतर ज्वाला ऐसी, हो क्रांति की अग्निराज।
हर बाला हो झाँसी की रानी, हर बालक में हो अभिमान,
बन जाए भारत भूमि, युगों का गौरव, अमर निशान।
मातृ भूमि पर मर - मिट जाएं यही है सच्चा हिंदुस्तान!!!!
न रोको अंश्रु, कह दो उनसे जो अपनों को खोकर खड़े हैं,
रक्त की हर बूंद लड़ेगी, जब राष्ट्र प्रेम से हृदय जुड़े हैं।
जिनके पुत्र न लौटे घर को, जिनकी आंखें राह तके हैं,
उनके दु:ख का उत्तर केवल, जय के नगाड़े संग बजे हैं।
काल पुकारे रणवीरों को, अब चुप रहने में नहीं है मान,
मातृ भूमि पर मर - मिट जाएं यही है सच्चा हिंदुस्तान!!!!
- दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल
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