हम हैं खबरों के प्रहरी, कलम हमारी शान।
सत्य दिखाना धर्म हमारा, यही हमारा मान।
हम हैं खबरों के प्रहरी, सच का जिनके संग निवास,
हर लम्हा कलम चलाते, रखते जग में नई मिठास।
धूप-छाँव हो या अंधियारा, हम तो रहते हैं तैयार,
ना छुट्टी, ना कोई परवाह, पत्रकारिता है हमारो प्यार।
हम हैं खबरों के प्रहरी, कलम हमारी शान।
सत्य दिखाना धर्म हमारा, यही हमारा मान।
जब सोती है सारा बस्ती, हम खोजें सच्ची बात,
भीतर की हलचल लाकर दें जन को पूरे दिन की बात।
आंधी हो या हो तूफ़ां, हम ना माने हार,
क्योंकि कलम का है यह व्रत, और सत्य हमारा सार।
हम हैं खबरों के प्रहरी, कलम हमारी शान।
सत्य दिखाना धर्म हमारा, यही हमारा मान।
उत्सव हो या शोक का पल हो, हम ही सबसे आगे,
संकट की घड़ी में भी हम, सच्चाई के राग लगाए।
भीड़ में जब सब चुप रहते, हम आवाज़ उठाते हैं,
जनहित की खातिर लड़कर, सच को सामने लाते हैं।
हम हैं खबरों के प्रहरी, कलम हमारी शान।
सत्य दिखाना धर्म हमारा, यही हमारा मान।
हर दिन नई चुनौती लेकर, फिर भी मुस्कान लिए,
हर शब्द में उजियारा भरते, साहस बनकर जिए।
हम ना केवल सूचनादाता, हम जनचेतना की जान,
हम हैं सेवा के सिपाही, सच्चे पत्रकार महान।
हम हैं खबरों के प्रहरी, कलम हमारी शान।
सत्य दिखाना धर्म हमारा, यही हमारा मान।
दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल
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