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रक्तबीज कोरोना प्रतियोगिता में शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को मिला श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान

रक्तबीज कोरोना प्रतियोगिता में शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को मिला श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान

महराजगंज टाइम्स ब्यूरो:
महराजगंज जनपद में तैनात बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षक व साहित्यकार दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान मिला है। यह सम्मान उनके काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना के चलते मिली है। शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी ने कोरोना पर अपनी रचना को ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता में भेजा था। निर्णायक मंडल ने शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल के काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना को टॉप 11 में जगह दिया। उनकी रचना को ऑनलाइन पत्रियोगिता में  सातवां स्थान मिला है। शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी को मिले इस सम्मान की बदौलत साहित्य की दुनिया में महराजगंज जनपद के साथ बेसिक शिक्षा परिषद भी गौरवान्वित हुआ है। बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षक बैजनाथ सिंह, अखिलेश पाठक, केशवमणि त्रिपाठी, सत्येन्द्र कुमार मिश्र, राघवेंद्र पाण्डेय, मनौवर अंसारी, धनप्रकाश त्रिपाठी, विजय प्रकाश दूबे, गिरिजेश पाण्डेय, चन्द्रभान प्रसाद, हरिश्चंद्र चौधरी, राकेश दूबे आदि ने साहित्यकार शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को बधाई दिया है।
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ऑनलाइन प्रतियोगिता में शामिल हुई थी 270 काव्य रचनाएं

ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता में 270 रचनाएं शामिल हुई थी। इसमें से निर्णायक मंडल व प्रतियोगिता के प्रेरक डॉ मृदुला शुक्ल छत्तीसगढ़, संरक्षक अनिल गर्ग व कार्यक्रम अध्यक्ष अरुणा अग्रवाल (कानपुर) ने बताया कि प्रतियोगिता में 35 स्तरीय रचनाओं का चयन किया। इसमें से सर्वश्रेष्ठ 11 रचना को सम्मान के लिए चयनित किया गया। निर्णायक मंडल ने परिणाम की घोषणा करते हुए यह विशेष रूप से उल्लेख किया कि हर प्रतिभागी अपने को प्रथम स्थान पर ही समझे।
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 काव्य प्रतियोगिता के टॉप 11 में चयनित रचना व रचनाकारों के नाम
1- अम्बरीष अम्बर - सीतापुर
2- संजय शुक्ल - कोलकाता
3- डॉ रजनी रंजन - घाटशिला झारखंड
4-  प्रदीप बहराइची - बहराइच
5- स्नेहलता नीर - रुड़की
6- डॉ सरिता शुक्ल - लखनऊ
7- दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल -  महराजगंज
8- अर्चना द्विवेदी - अयोध्या
9- अभय सोनी संडीला - हरदोई
10- मुक्ता गुप्ता - अयोध्या 
11-  बृजेश शंखधर - प्रयागराज
कविता--रक्तबीज कोरोना

अब बदलो अपनी चाल ढाल
यह   रक्तबीज   कोरोना  है ।

हर ओर मचा है कोलाहल
छाने  वाला  है  अन्धकार
सम्पूर्ण विश्व की छाती पर 
संकट  गहराया  है अपार,

उसमें  न कहीं विकृति आये
जग  का जो रुप सलोना है
यह  रक्तबीज  कोरोना  है!

सारा का सारा विश्व आज 
भारत की ओर निहार रहा 
भारत  ने  ही  संकट  टाले 
जब जग में अँधियार रहा,

कल्याण विश्व का विपदा में 
भारत  के  द्वारा  होना  है
यह  रक्तबीज  कोरोना है !

यह सोने का है समय नहीं 
है  जगने  और  जगाने का
हर एक सावधानी करनी है
संकल्प  सभी  अपनाने  का,

सामाजिक दूरी है अपनानी
हाथों को पल-पल धोना है
यह  रक्तबीज  कोरोना  है !

मौलिक रचना-दयानन्द त्रिपाठी
       व्याकुल
 लक्ष्मीपुर, महराजगंज, 
      उत्तर प्रदेश

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