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वट सावित्री पूजा के अवसर पर एकछोटी सी कविता "वट से मांगें पत्नियां अमर रहे वर करूँ पूजा"- प्रस्तुत कर रहा हूँ आशा है आप सब आशिवार्द मिले......

वट सावित्री पूजा के अवसर पर एकछोटी सी कविता "वट से मांगें पत्नियां अमर रहे वर करूँ पूजा"-  प्रस्तुत कर रहा हूँ  आशा है आप सब आशिवार्द मिले......


वट वृक्षों की पूजा पतियों का सम्मान,
रहे निर्जला सुहागिनें लेकर ये विधान।
गाँवों से शहरों तक है जीवन का मान,
सुहागिनें करें दिर्घायु हेतु वट पूजन विधान।


हम सबके संस्कारों में वट हैं ईश समान,
करें कामना सुहागिनें पति रहें सत्यवान।
रीति रिवाजों से है जीवन मूल्य आधार,
वट पेड़ नहीं ब्रम्हा बिष्णु महेश का है स्थान।


वट वृक्षों की छाया पथिकों को देती आराम,
कड़ी धूपहो जली धरा हो ठंडी पवन चलाय।
वट पर सोच ये प्राणी ज्ञान समुंदर पर बल दे,
वसुधैव - कुटुम्बकम की  राहों का है सहाय।


ऐसे  ही  नहीं  होते  वट  वृक्षों  की  पूजा,
अमृत जीवनधारा के रहे होंगे कारण दूजा
व्याकुल बंधीं पत्नियां सातजन्मों के फेरों से,
वट से मांगें पत्नियां अमर रहे वर करूँ पूजा।

मौलिक रचना-दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

                      उत्तर प्रदेश ।


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