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विजय मेहंदी

।।विजय दिवस।।

ए मेरे वतन के लोगों,
लगा लो विजय दिवस पर नारा।
ये प्रण होगा हम सब का,
नापाकी-पाक हिम्मत न करे दोबारा।
यह मत भूलो कारगिल में,
वीरों ने हैं प्राण गँवाए,
कुछ याद उन्हें भी कर लो,
जो लौट के घर ना आये।-2
ए मेरे वतन के लोगों,
जरा आँख में भर लो पानी।                        
जो शहीद हुए थे कारगिल में ,
जरा याद करो कुर्बानी।(2)
जब पागल हुआ था मुशर्रफ,
किया था कृत्य बड़ा उन्मादी। 
कर चुपके से घुसपैठ वो,
फिर कर दिया धोखेबाजी।
पता न रहा वजीर-ए-आला को,
वो बुन दिया था चालसाजी।
धोंखे से जाबांज शूरवीरों पर,
कर दिया था वो कायरबाजी। 
थे कायर शैतान वो पाकी,
थी कायर उनकी शैतानी।
जो कुकृत्य किये थे उसने,
जरा याद रखो कारिस्तानी।
कोई सिख कोई यूपीवासी,
527 वीर जो शहीद हुए कारगिल में,
हर वीर थे भारतवासी।
जो खून गिरा पर्वत पर,
वो खून था हिन्दुस्तानी।
जो शहीद हुए थे 527 शूरवीरों ने ,
उनकी बीस रही थी जवानी।
थी खून से लथपथ काया,
फिर भी वे ना घबराते। दो-दो के औसतन मारा,
फिर गिर गये होश गवांके।
जब अन्त समय आया तो,-2
कह गये कि हम मरते हैं।
पाकी नापाक पे भरोसा ना करना,-2
वो धोखा ही करते हैं।-2
क्या लोग थे वे दीवाने,
क्या लोग थे वे अभिमानी।
जो शहीद हुए थे कारगिल में,
जरा याद करो कुर्बानी।
तूम भूल न जाना उनको,
इस लिए लिखे ए कहानी।
जो शहीद हुए थे कारगिल में ,
उनकी जरा याद करो कुर्बानी।
जय हिंद,जय हिन्द,जय हिन्द,
जय हिंद की सेना।----------

  जय हिन्द 🇮🇳 जय सैनिक वृन्द🇮🇳
गीतकार- विजय मेहंदी (कविहृदय शिक्षक)
जौनपुर (यूपी)

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