सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संजय जैन बीना

माँ में बड़ा हो गया
विधा : कविता

गोद में बैठा मेरा बेटा 
कब पैरो पर खडा हो गया। 
और एक दिन मुझसे बोला 
मम्मी मैं आपसे बडा हो गया।। 

मैनें कहा बेटा भले ही खूबसूरत 
गलतफहमी में जकडें रहना। 
पर मेरा हाथ पकड़े रहना 
और माँ का बेटा बने रहना। 
जिस दिन साथ छूट जाएगा, 
तेरा रंगीन सपना भी टूट जाएगा।
तब बेटा तुझे रिश्तों का महत्व 
खुद ही समझ आयेगा।। 

यह दुनियां वास्तव में 
इतनी भी हसीन नहीं। 
जितना तू मेरे बेटे 
इसे समझता है। 
बेटे देख तेरे पांव तले 
अभी जो आधार है। 
वो तेरे लिए मैंने ही 
बनाकर तुझे दिया है।। 

मैं तो माँ हूँ बेटा तेरी 
जो बहुत खुश हो जाऊंगी। 
जिस दिन तू वास्तव में 
मुझसे बड़ा हो जाएगा। 
जब तू खुदके द्वारा आधार
बनाकर उस पर खड़ा होगा। 
उस दिन सबसे पहले बेटे
मैं तेरी आरती उतारुँगी।। 

आज तेरी सफलता पर बेटे
तेरी माँ तुझे शुभ आशीष और 
मंगल शुभ कामनाएं देती हूँ।
जैसे मैंने सोचता था बेटे तू
उससे बढ़कर ही निकला। 
मैं धन्य हो गई बेटे 
आज तेरी माँ बनकर। 
इसी तरह से बेटा तुम 
अच्छा पति और भाई का 
फर्ज भी निभाना। 
और अपनी माँ का 
नाम रोशन करना।। 

जय जिनेंद्र देव
संजय जैन "बीना" मुंबई
26/08/2021


*बहिन ने मांगा तोहफा*
विधा : कविता 

इस राखी पर भैया मुझे,
बस यही तोहफा देना तुम। 
रखोगे ख्याल माँ-बाप का, 
बस यही एक वचन देना तुम ,
बेटी हूँ मैं शायद ससुराल से 
रोज़ न आ पाऊंगी। 
जब भी पीहर आऊंगी,
इक मेहमान बनकर आऊंगी। 
पर वादा है ससुराल में संस्कारों से,
पीहर की शोभा बढाऊंगी। 
तुम तो बेटे हो इस बात को 
न भुला देना तुम। 
रखोगे ख्याल माँ बाप का बस 
यही वचन देना तुम। 
मुझे नहीं चाहिये सोना-चांदी,
न चाहिये हीरे-मोती। 
मैं इन सब चीजों से 
कहां सुःख पाऊंगी। 
देखूंगी जब माँ बाप को 
पीहर में खुश। 
तो ससुराल में चैन से 
मैं भी जी पाऊंगी। 
अनमोल हैं ये रिश्ते, 
इन्हें यूं ही न गंवा देना तुम। 
रखोगे ख्याल माँ बाप का, 
बस यही वचन देना तुम। 
वो कभी तुम पर या भाभी 
पर गुस्सा हो जायेंगे। 
कभी चिड़चिड़ाहट में 
कुछ कह भी जायेंगे। 
न गुस्सा करना न पलट के 
कुछ कहना तुम। 
उम्र का तकाजा है यह,
भाभी को भी समझा देना तुम। 
इस राखी पर भैया मुझे 
बस यही तोहफा देना तुम। 
रखोगे ख्याल माँ बाप का, 
बस यही वचन देना तुम।। 

जय जिनेंद्र देव 
संजय जैन "बीना" मुंबई 
25/08/2021

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

डा. नीलम

*गुलाब* देकर गुल- ए -गुलाब आलि अलि छल कर गया, करके रसपान गुलाबी पंखुरियों का, धड़कनें चुरा गया। पूछता है जमाना आलि नजरों को क्यों छुपा लिया कैसे कहूँ , कि अलि पलकों में बसकर, आँखों का करार चुरा ले गया। होती चाँद रातें नींद बेशुमार थी, रखकर ख्वाब नशीला, आँखों में निगाहों का नशा ले गया, आलि अली नींदों को करवटों की सजा दे गया। देकर गुल-ए-गुलाब......       डा. नीलम

डॉ. राम कुमार झा निकुंज

💐🙏🌞 सुप्रभातम्🌞🙏💐 दिनांकः ३०-१२-२०२१ दिवस: गुरुवार विधाः दोहा विषय: कल्याण शीताकुल कम्पित वदन,नमन ईश करबद्ध।  मातु पिता गुरु चरण में,भक्ति प्रीति आबद्ध।।  नया सबेरा शुभ किरण,नव विकास संकेत।  हर्षित मन चहुँ प्रगति से,नवजीवन अनिकेत॥  हरित भरित खुशियाँ मुदित,खिले शान्ति मुस्कान।  देशभक्ति स्नेहिल हृदय,राष्ट्र गान सम्मान।।  खिले चमन माँ भारती,महके सुरभि विकास।  धनी दीन के भेद बिन,मीत प्रीत विश्वास॥  सबका हो कल्याण जग,हो सबका सम्मान।  पौरुष हो परमार्थ में, मिले ईश वरदान॥  कविः डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" रचना: मौलिक (स्वरचित)  नई दिल्ली

रक्तबीज कोरोना प्रतियोगिता में शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को मिला श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान

रक्तबीज कोरोना प्रतियोगिता में शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को मिला श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान महराजगंज टाइम्स ब्यूरो: महराजगंज जनपद में तैनात बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षक व साहित्यकार दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान मिला है। यह सम्मान उनके काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना के चलते मिली है। शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी ने कोरोना पर अपनी रचना को ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता में भेजा था। निर्णायक मंडल ने शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल के काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना को टॉप 11 में जगह दिया। उनकी रचना को ऑनलाइन पत्रियोगिता में  सातवां स्थान मिला है। शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी को मिले इस सम्मान की बदौलत साहित्य की दुनिया में महराजगंज जनपद के साथ बेसिक शिक्षा परिषद भी गौरवान्वित हुआ है। बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षक बैजनाथ सिंह, अखिलेश पाठक, केशवमणि त्रिपाठी, सत्येन्द्र कुमार मिश्र, राघवेंद्र पाण्डेय, मनौवर अंसारी, धनप्रकाश त्रिपाठी, विजय प्रकाश दूबे, गिरिजेश पाण्डेय, चन्द्रभान प्रसाद, हरिश्चंद्र चौधरी, राकेश दूबे आदि ने साहित्यकार शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को बधाई दिय...