सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

एस के कपूर श्री हंस

*।।रचना शीर्षक।।* 
*।।नई पीढ़ी को* 
*सौंपनी है, शुद्व स्वच्छ*
*पर्यावरण की*
*विरासत।।*
*।।विधा।।मुक्तक।।*
1
वृक्षों से ही  हमारे   जीवन में
आती   हरियाली है।
प्रकृति पोषित  और हर ओर
होती   खुशहाली है।।
पर्यावरण   सरंक्षण  धुरी   है
जीवन   के रक्षा की।
जानो तभी मनेगी   नई पीढ़ी
की होली दीवाली है।।
2
रक्षा पर्यावरण की   तेरी  मेरी
सबकी जिम्मेदारी है।
हम अभी से हों      समझदार
इसी में होशियारी है।।
नहीं तो बर्बाद ए गुलिस्तां  को
होगी      जवाबदारी ।
यही आज समय की  जरूरत
और   खबरदारी   है।।
3
जो हम सिखायेंगे   नई   पीढ़ी
वही करेगी आगे लाकर।
पर्यावरण के  प्रति    जागरूक
होगी हमसे सीख पाकर।।
आज कर्तव्य नई पीढ़ी को हमें
सौंपना स्वच्छ पर्यावरण।
अन्यथा आने वाली पीढ़ी दुःख
भरेगी ये विरासत जाकर।।

*रचयिता।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।*
 *©. @.   skkapoor*
*सर्वाधिकार सुरक्षित*

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को उत्कृष्ट कविता लेखन एवं आनलाइन वीडियो के माध्यम से कविता वाचन करने पर राष्ट्रीय मंच द्वारा सम्मानित किया गया। यह मेरे लिए गौरव का विषय है।

डा. नीलम

*गुलाब* देकर गुल- ए -गुलाब आलि अलि छल कर गया, करके रसपान गुलाबी पंखुरियों का, धड़कनें चुरा गया। पूछता है जमाना आलि नजरों को क्यों छुपा लिया कैसे कहूँ , कि अलि पलकों में बसकर, आँखों का करार चुरा ले गया। होती चाँद रातें नींद बेशुमार थी, रखकर ख्वाब नशीला, आँखों में निगाहों का नशा ले गया, आलि अली नींदों को करवटों की सजा दे गया। देकर गुल-ए-गुलाब......       डा. नीलम

रमाकांत त्रिपाठी रमन

जय माँ भारती 🙏जय साहित्य के सारथी 👏👏 💐तुम सारथी मेरे बनो 💐 सूर्य ! तेरे आगमन की ,सूचना तो है। हार जाएगा तिमिर ,सम्भावना तो है। रण भूमि सा जीवन हुआ है और घायल मन, चक्र व्यूह किसने रचाया,जानना तो है। सैन्य बल के साथ सारे शत्रु आकर मिल रहे हैं, शौर्य साहस साथ मेरे, जीतना तो है। बैरियों के दूत आकर ,भेद मन का ले रहे हैं, कोई हृदय छूने न पाए, रोकना तो है। हैं चपल घोड़े सजग मेरे मनोरथ के रमन, तुम सारथी मेरे बनो,कामना तो है। रमाकांत त्रिपाठी रमन कानपुर उत्तर प्रदेश मो.9450346879