सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

कालिका प्रसाद सेमवाल

****** *बेटियां ******
             *******
परिवार की  रौनक   होती है बेटियां,
 आँगन   की  शोभा   होती है!
सौभाग्य की प्रतीक होती  बेटियां है,
मधुर  मन की  आवाज होती है!
अन्नपूर्णा का  स्वरूप  होती है,
जीवन का सार  होती है बेटियां।

ममता की खुशबू होती है बेटियां,
वक्त आने पर चट्टान सी कठोर होती है!
गंगा सी  पवित्र  होती  है बेटियां,
दुर्जनों के दांत खट्टे कर देती है!
देश की प्रगति में हाथ बंटाती बेटियां,
पृथ्वी जैसी सहनशील  होती है बेटियां।

बेटियां  के लक्ष्मी का रुप होती है,
ईश्वर का अनुपम उपहार होती है!
बाबुल    का   प्यार  होती  है बेटियां,
परिवार  के लिये    खास  होती  है!
चुटकी  भर    सिंदूर  के  लिये ,
अपना  जीवन अर्पित कर देती  बेटियां।

दुख की बदली में  सूर्य बन जाती,
ममता, माया,  दुलार  का रुप होती है!
कभी दुर्गा ,चंडी  और कभी महाकाली,
 बन   जाती  है   हमारी  बेटियां!
अबला कहने वालों को मौका आने पर,
आसमान के तारे भी दिखाती है बेटियां।

त्याग    प्रतिमूर्ति     होती  बेटियां,
धरती  सी   सहनशील   होती है!
एक शरीर के  अनेक  रुप होते इनके,
कोमल हृदय  की  होती  है बेटियां!
जगदम्बा का  रुप  होती है बेटियां,
ईश्वर का वरदान होती हो बेटियां।
*********************
कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रुद्रप्रयाग उत्तराखंड
पिनकोड 246171

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को उत्कृष्ट कविता लेखन एवं आनलाइन वीडियो के माध्यम से कविता वाचन करने पर राष्ट्रीय मंच द्वारा सम्मानित किया गया। यह मेरे लिए गौरव का विषय है।

डा. नीलम

*गुलाब* देकर गुल- ए -गुलाब आलि अलि छल कर गया, करके रसपान गुलाबी पंखुरियों का, धड़कनें चुरा गया। पूछता है जमाना आलि नजरों को क्यों छुपा लिया कैसे कहूँ , कि अलि पलकों में बसकर, आँखों का करार चुरा ले गया। होती चाँद रातें नींद बेशुमार थी, रखकर ख्वाब नशीला, आँखों में निगाहों का नशा ले गया, आलि अली नींदों को करवटों की सजा दे गया। देकर गुल-ए-गुलाब......       डा. नीलम

रमाकांत त्रिपाठी रमन

जय माँ भारती 🙏जय साहित्य के सारथी 👏👏 💐तुम सारथी मेरे बनो 💐 सूर्य ! तेरे आगमन की ,सूचना तो है। हार जाएगा तिमिर ,सम्भावना तो है। रण भूमि सा जीवन हुआ है और घायल मन, चक्र व्यूह किसने रचाया,जानना तो है। सैन्य बल के साथ सारे शत्रु आकर मिल रहे हैं, शौर्य साहस साथ मेरे, जीतना तो है। बैरियों के दूत आकर ,भेद मन का ले रहे हैं, कोई हृदय छूने न पाए, रोकना तो है। हैं चपल घोड़े सजग मेरे मनोरथ के रमन, तुम सारथी मेरे बनो,कामना तो है। रमाकांत त्रिपाठी रमन कानपुर उत्तर प्रदेश मो.9450346879