सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

डॉ.अमित कुमार दवे

विषय : अटल  बिहारी वाजपेयी विशेष
©शब्द - स्वप्न - संवेदन को जीवन राष्ट्र का करना होगा
   जननायक को अब अटल-सा फिर से बनना होगा ।।
                 डॉ.अमित कुमार दवे, खड़गदा, राजस्थान

अटल के अटल आदर्शों को आचरण बनाना होगा,
राष्ट्रीय राजनीति को पुनराभा से युक्त से करना होगा।।

एकनिष्ठ राष्ट्र का निर्माण अब हर जन को करना होगा,
स्वप्न अटल का मिलकर हमको नूनं पूर्ण करना होगा।।

गिरती गरिमा से फिर  राजनीति को ऊपर लाना होगा,
सूत्र 'रामो द्वि वारं नाभिरभते' का स्थापित करना होगा।।

सम्पूर्ण विश्व को राष्ट्रीय गरिमा का पाठ समझाना होगा,
राष्ट्रीय अस्मिता ध्यान में रख हर व्यवहार करना होगा।।

बिखरे अन्तरभारत को अब सूत्र एक में पिरोना होगा,
स्वप्न अटल का मिलकर हमको शीघ्र पूर्ण करना होगा।।

बन रत्न राष्ट्र का हर जन को नव निर्माण करना होगा,
भारतवर्ष के खातिर संक्षिप्त स्वार्थों को छोड़ना होगा।।

सहृदयी - सहज कविमन - तटस्थ विपक्षी ढूँढना होगा,
शब्द - स्वप्न - संवेदन को जीवन राष्ट्र का करना होगा।।

जननायक राष्ट्र का अब अटल-सा फिर से बनाना होगा,
अनुभवी-संवेदी हाथों को ही नेतृत्व राष्ट्र का देना होगा।।

गिरते राजनैतिक व्यक्तित्वों को फिर संभलना ही होगा,
अन्यथा स्वप्न राष्ट्रीय नेतृत्व का स्वतः ही छोड़ना होगा।।

राष्ट्रीय अस्मिता ध्यान में रख हर व्यवहार करना होगा,
स्वप्न अटल का मिलकर हमको शीघ्र पूर्ण करना होगा।।

सादर प्रस्तुति
©डॉ.अमित कुमार दवे, खड़गदा, राजस्थान

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

डा. नीलम

*गुलाब* देकर गुल- ए -गुलाब आलि अलि छल कर गया, करके रसपान गुलाबी पंखुरियों का, धड़कनें चुरा गया। पूछता है जमाना आलि नजरों को क्यों छुपा लिया कैसे कहूँ , कि अलि पलकों में बसकर, आँखों का करार चुरा ले गया। होती चाँद रातें नींद बेशुमार थी, रखकर ख्वाब नशीला, आँखों में निगाहों का नशा ले गया, आलि अली नींदों को करवटों की सजा दे गया। देकर गुल-ए-गुलाब......       डा. नीलम

डॉ. राम कुमार झा निकुंज

💐🙏🌞 सुप्रभातम्🌞🙏💐 दिनांकः ३०-१२-२०२१ दिवस: गुरुवार विधाः दोहा विषय: कल्याण शीताकुल कम्पित वदन,नमन ईश करबद्ध।  मातु पिता गुरु चरण में,भक्ति प्रीति आबद्ध।।  नया सबेरा शुभ किरण,नव विकास संकेत।  हर्षित मन चहुँ प्रगति से,नवजीवन अनिकेत॥  हरित भरित खुशियाँ मुदित,खिले शान्ति मुस्कान।  देशभक्ति स्नेहिल हृदय,राष्ट्र गान सम्मान।।  खिले चमन माँ भारती,महके सुरभि विकास।  धनी दीन के भेद बिन,मीत प्रीत विश्वास॥  सबका हो कल्याण जग,हो सबका सम्मान।  पौरुष हो परमार्थ में, मिले ईश वरदान॥  कविः डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" रचना: मौलिक (स्वरचित)  नई दिल्ली

रक्तबीज कोरोना प्रतियोगिता में शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को मिला श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान

रक्तबीज कोरोना प्रतियोगिता में शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को मिला श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान महराजगंज टाइम्स ब्यूरो: महराजगंज जनपद में तैनात बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षक व साहित्यकार दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान मिला है। यह सम्मान उनके काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना के चलते मिली है। शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी ने कोरोना पर अपनी रचना को ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता में भेजा था। निर्णायक मंडल ने शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल के काव्य रंगोली रक्तबीज कोरोना को टॉप 11 में जगह दिया। उनकी रचना को ऑनलाइन पत्रियोगिता में  सातवां स्थान मिला है। शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी को मिले इस सम्मान की बदौलत साहित्य की दुनिया में महराजगंज जनपद के साथ बेसिक शिक्षा परिषद भी गौरवान्वित हुआ है। बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षक बैजनाथ सिंह, अखिलेश पाठक, केशवमणि त्रिपाठी, सत्येन्द्र कुमार मिश्र, राघवेंद्र पाण्डेय, मनौवर अंसारी, धनप्रकाश त्रिपाठी, विजय प्रकाश दूबे, गिरिजेश पाण्डेय, चन्द्रभान प्रसाद, हरिश्चंद्र चौधरी, राकेश दूबे आदि ने साहित्यकार शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल को बधाई दिय...