दोहे(खिचड़ी)
मकर राशि में सूर्य का,होता यदा प्रवेश।
सूर्य-तेज बढ़ने लगे,उत्तर-दिश जो देश।।
खिचड़ी का यह पर्व तो,होता बहुत महान।
गंगा में डुबकी लगा, करते सब हैं दान।।
पोंगल का शुभ पर्व भी,है खिचड़ी का अंग।
इसे मनाते लोग भी, ले उत्साह - उमंग।।
दान-पूण्य के पर्व पर,होता हिय में हर्ष।
शुद्ध सोच,शुचि भाव से,करे राष्ट्र उत्कर्ष।।
भारत के त्यौहार सब,देते हैं उल्लास।
जागरूक करते उन्हें,जो मन रहें उदास।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372।
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