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डॉ0 हरि नाथ मिश्र

रक्तबीज

           *रक्तबीज कोरोना*
है बढ़ रहा कोरोना रक्तबीज की तरह,
सबको डरा रहा है, बुरी चीज़ की तरह।
डरना नहीं है इससे मगर,सुन लो दोस्तों-
संयम-नियम को धारो, ताबीज़ की तरह।।

क़ुदरत के साथ धोखा करने का फल है ये,
गिरि-सिंधु-सर-अरण्य को ठगने का फल है ये।
क़ुदरत के ही तो ख़ौफ़ का,उछाल कोरोना-
है साज़िशे क़ुदरत कोई, नाचीज़ की तरह।।

यद्यपि चला ये चीन से,कुछ लोग कह रहे,
पहुँचा है देश पश्चिम,जहाँ लोग मर रहे।
भारत पे भी प्रभाव इसका,कम तो है नहीं-
लगता यही है दलदल, दैत्य कीच की तरह।।

दूरी बना के रहने में,सबकी ही ख़ैर है,
अपने घरों में रहना,करनी न सैर है।
थोड़े दिनों का कष्ट ये,इसे है झेलना-
संकट में धैर्य है दवा,मुफ़ीद की तरह।।

सर्दी-जुक़ाम-खाँसी-बुख़ार कोरोना,
स्पर्श-रक्तबीज इव पनपे है कोरोना।
बस स्वच्छता इलाज है,एकमात्र कोरोना-
बनना नहीं समूह,उत्सव-तीज की तरह।।

करुणा-दया दिखानी, है अब गरीब पे,
घड़ी मदद की उनकी,मिलती नसीब से।
मिलना मग़र जो उनसे, मुँह ढाँक के मिलो-
उपकार तो होता सदा,तहज़ीब की तरह।।

करना विनाश सबको, है रक्तबीज का,
है रोकना फैलाव इसी,रक्तबीज का।
होगा भला जगत का,बस कर विनाश इसका-
जीवन है भोज इसका एक,लजीज़ की तरह।।
                 ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
                    9919446372

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