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चेतना चितेरी

होली प्रेम का पर्व 
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ये प्रेम का पर्व है, खुशियों का पर्व है,
हम मिलजुल कर मनाएंगे होली का पर्व,
फागुन के गीत गाएंगे, ढोल नगाड़ा भी बजाएंगे,
अम्मा के हाथ की बनी गुझिया भी! खाएंगे,
चाचा –चाची के साथ होली का पर्व मनाएंगे,
ये प्रेम का पर्व है खुशियों का पर्व है
गांव में परिवार के साथ  होली का पर्व मनाएंगे,
हम मिलजुल कर होली का पर्व मनाएंगे।

मित्रों के साथ नाचेंगे भी !,झूमेंगे भी!
सारे रिश्तेदारों से मिलकर भी!आएंगे,
प्रेम के रंग से  सबको रंग कर आयेंगे,
ये होली का पर्व है, खुशियों का पर्व है,
अबकी सबके उपालंभ दूर करके आएंगे,
हम मिलजुल कर होली का पर्व मनाएंगे।

(मौलिक रचना)
चेतना चितेरी , प्रयागराज
15/3/2022,6:39p.m.

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