*नववर्ष*(दोहे)
स्वागत है नववर्ष का,खुला हर्ष का द्वार।
नवल चेतना से मिले,दिव्य ज्ञान - भंडार।।
बने यही नववर्ष ही,जग में प्रगति-प्रतीक।
कोरोना के रोग की,औषधि मिले सटीक।।
कला-ज्ञान-साहित्य का,होगा सतत विकास।
विमल-शुद्ध नभ-वायु का,बने जगत आवास।।
सुख-सुविधा-सम्पन्न कृषि,होंगे तुष्ट किसान।
भारत अपना देश ही , होगा श्रेष्ठ - महान ।।
सरित-प्रपात-तड़ाग सब,देंगे निर्मल नीर।
निर्मल पर्यावरण से,जाती जन की पीर।।
देगा यह नववर्ष भी,जन-जन को संदेश।
मानवता ही धर्म है, जानें रंक-नरेश ।।
लोकतंत्र के मूल्य को,समझेंगे सब लोग।
घृणा-भाव को त्याग कर,लेंगे सुर-सुख-भोग।।
©डॉ0 हरि नाथ मिश्र
9919446372
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