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डॉ0 हरि नाथ मिश्र

*नववर्ष*(दोहे)
स्वागत है नववर्ष का,खुला हर्ष का द्वार।
नवल चेतना से मिले,दिव्य ज्ञान - भंडार।।

बने यही नववर्ष ही,जग में प्रगति-प्रतीक।
कोरोना के रोग की,औषधि मिले सटीक।।

कला-ज्ञान-साहित्य का,होगा सतत विकास।
विमल-शुद्ध नभ-वायु का,बने जगत आवास।।

सुख-सुविधा-सम्पन्न कृषि,होंगे तुष्ट किसान।
भारत अपना  देश  ही , होगा  श्रेष्ठ - महान ।।

सरित-प्रपात-तड़ाग सब,देंगे निर्मल नीर।
निर्मल पर्यावरण से,जाती जन की पीर।।

देगा यह नववर्ष भी,जन-जन को संदेश।
मानवता  ही  धर्म  है, जानें  रंक-नरेश ।।

लोकतंत्र के मूल्य को,समझेंगे सब लोग।
घृणा-भाव को त्याग कर,लेंगे सुर-सुख-भोग।।

               ©डॉ0 हरि नाथ मिश्र
                   9919446372

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