*गुलाब* देकर गुल- ए -गुलाब आलि अलि छल कर गया, करके रसपान गुलाबी पंखुरियों का, धड़कनें चुरा गया। पूछता है जमाना आलि नजरों को क्यों छुपा लिया कैसे कहूँ , कि अलि पलकों में बसकर, आँखों का करार चुरा ले गया। होती चाँद रातें नींद बेशुमार थी, रखकर ख्वाब नशीला, आँखों में निगाहों का नशा ले गया, आलि अली नींदों को करवटों की सजा दे गया। देकर गुल-ए-गुलाब...... डा. नीलम
💐🙏🌞 सुप्रभातम्🌞🙏💐 दिनांकः ३०-१२-२०२१ दिवस: गुरुवार विधाः दोहा विषय: कल्याण शीताकुल कम्पित वदन,नमन ईश करबद्ध। मातु पिता गुरु चरण में,भक्ति प्रीति आबद्ध।। नया सबेरा शुभ किरण,नव विकास संकेत। हर्षित मन चहुँ प्रगति से,नवजीवन अनिकेत॥ हरित भरित खुशियाँ मुदित,खिले शान्ति मुस्कान। देशभक्ति स्नेहिल हृदय,राष्ट्र गान सम्मान।। खिले चमन माँ भारती,महके सुरभि विकास। धनी दीन के भेद बिन,मीत प्रीत विश्वास॥ सबका हो कल्याण जग,हो सबका सम्मान। पौरुष हो परमार्थ में, मिले ईश वरदान॥ कविः डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" रचना: मौलिक (स्वरचित) नई दिल्ली
विश्व रक्तदान दिवस पर कविता "रक्तदान के भावों को, शब्दों में बताना मुश्किल है" को क्लिक पूरी पढ़ें। विश्व रक्तदान दिवस पर कविता ==================== रक्तदान के भावों को शब्दों में बताना मुश्किल है कुछ भाव रहे होंगे भावी के भावों को बताना मुश्किल है। दानों के दान रक्तदानी के दावों को बताना मुश्किल है रक्तदान से जीवन परिभाषा की नई कहानी को बताना मुश्किल है। कितनों के गम चले गये महादान को समझाना मुश्किल है मानव में यदि संवाद नहीं तो सम्मान बनाना मुश्किल है। यदि रक्तों से रक्त सम्बंध नहीं तो क्या...
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