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डा. नीलम

*गुलाब*

देकर गुल- ए -गुलाब
आलि अलि छल
कर गया,
करके रसपान
गुलाबी पंखुरियों का,
धड़कनें चुरा गया।

पूछता है जमाना
आलि नजरों को
क्यों छुपा लिया
कैसे कहूँ ,
कि अलि पलकों
में बसकर,
आँखों का करार
चुरा ले गया।

होती चाँद रातें
नींद बेशुमार थी,
रखकर ख्वाब
नशीला, आँखों में
निगाहों का
नशा ले गया,
आलि अली
नींदों को करवटों की
सजा दे गया।

देकर गुल-ए-गुलाब......

     डा. नीलम

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रमाकांत त्रिपाठी रमन

जय माँ भारती 🙏जय साहित्य के सारथी 👏👏 💐तुम सारथी मेरे बनो 💐 सूर्य ! तेरे आगमन की ,सूचना तो है। हार जाएगा तिमिर ,सम्भावना तो है। रण भूमि सा जीवन हुआ है और घायल मन, चक्र व्यूह किसने रचाया,जानना तो है। सैन्य बल के साथ सारे शत्रु आकर मिल रहे हैं, शौर्य साहस साथ मेरे, जीतना तो है। बैरियों के दूत आकर ,भेद मन का ले रहे हैं, कोई हृदय छूने न पाए, रोकना तो है। हैं चपल घोड़े सजग मेरे मनोरथ के रमन, तुम सारथी मेरे बनो,कामना तो है। रमाकांत त्रिपाठी रमन कानपुर उत्तर प्रदेश मो.9450346879