जा जा रे कागा, पिया का संदेशा ले आ रे, हाल मेरा तू उन्हें बता आ रहे। कटे न रात बैरन ये मेरी, दुपहरी भरी कैसे गुजारुं मैं। तू दूर जा बैठा इतना मुझसे, रह रह कर तुझे पुकारूं में। तड़प दिल की उसे बता आ रे जा जा रे कागा.... वो कर के गया था वादा मुझसे, भरोसा उसका मैंने क्यों किया। बीत गया सावन तो रो रो कर, जाने ना वो, रत जगा क्यों किया। मेरी पीड़़ तू उसे सुना आ रे, जा जा रे कागा...... बिछौना भी बैरी पूछे मुझसे, कौन गांव तेरा साजन गया। मांग भरूं मैं उसके नाम की, जीवन मेरा क्यों सब सून भया। आखिरी सही, पाती एक ले आ रे जा जा रे कागा..... अजय "आवारा"