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विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर छोटी सी कविता "जीवन है मुक्ति का धाम, जप रघुपति राघव राजा राम।" - दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल की क्लिक कर पूरा पढ़े।

विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर छोटी सी कविता "जीवन है मुक्ति का धाम, जप रघुपति राघव राजा राम।" - दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल की क्लिक कर पूरा पढ़े। जीवन   है   मुक्ति   का  धाम, जप  रघुपति  राघव राजा राम। नशा  करे  जो  आह  भरे, लग जाये जीवन पे विराम प्रेम   पिलाया   जो   पिये नशा  करे  हर  सुबहे शाम। कश  लेने  पे  लगाओ  विराम, जप  रघुपति  राघव राजा राम। क्यों करते हो नशा डटकर, लिये  हाथ  में  लिये  साथ। संकट   जब   बढ़   जायेगा कैसे  दोगे  अपनों का साथ। जीवन   है   मुक्ति   का  धाम, जप  रघुपति  राघव राजा राम। परिवारों  पर  दो  तुम  ध्यान,  रटते   रहो    राम   का  नाम। लेते रहोगे जब  कश पर कश नहीं मिलेगा  कहीं  यश काम। नहीं   करोगे   ढंग   से    काम, बदहाली धायेगी हर सुबहे शाम। जीवन  है  अनमोल  तुम्हारा बनो  किसी  का  तुम सहारा छोड़ो   अपनी    बुरी  आदतें नशा न हो अब तुमको प्यारा। फ्री  में   हो   जाओगे   बदनाम, नहींमिलेगा फिर यश का ईनाम। जप रघुपति राघव राजा राम, पतित     पावन     सीताराम। रचना-दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल        महराजगंज,  उत्तर प्रदेश ।

आइये पढ़े "वर्तमान में दरकते रिश्ते" - दयानन्द त्रिपाठी की रचना क्लिक कर पूरी पढ़े आपका प्यार कविता को मिलेगा।

आइये पढ़े "वर्तमान में दरकते रिश्ते" - दयानन्द त्रिपाठी की रचना क्लिक कर पूरी पढ़े आपका प्यार कविता  को मिलेगा। शीर्षक - वर्तमान में दरकते रिश्ते ==================== भौतिकवादी   युग  परिवेशों  में रिश्ते  खण्ड-खण्ड  होते जा रहे, सुख-दुख बांटने की अनुभूति में एकल    रिश्ते    होते    जा   रहे वर्तमान      में     दरकते    रिश्ते, न्यूक्लियर  से  होते  जा  रहे। मार्डन  एहसासों  के  जग में रिश्तों के अभाव होते जा रहे जिनकी   खातिर   सारी  उम्र बुजुर्ग  बोझों  से दबते जा रहे वर्तमान    में    दरकते   रिश्ते, संवेदन शून्य होते जा रहे। सपनों  को पाला पोशा  इतना परिवारों में भाव मिटते जा रहे कारण   व   निवारण   क्या  है वर्तमान में रिश्ते दरकते जा रहे। खूब   संजोया   सपना   अपना दर्द है ऐसा सब बिखरते जा रहे खुदगर्जी   और   नफरत   ऐसी वर्तमान में दरकते रिश्ते जा रहे। छोटी छोटी बातों पर हुआ अहम  सम्बंधों के भावों में नहीं रहा दम कारण   व   निवारण   क्या    दूँ पानी पर पानी से लिखते जा रहे कदम कदम पर संघर्षों की गाथा वर्तमान  में  दरकते रिश्ते जा रहे। अब रिश्तों की कोई  बात न पूछे फटी 

हिन्दी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर कविता "कोटि-कोटि नमन करता हूँ, लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ का" पत्रकार बन्धुओं को समर्पित साथ ही हार्दिक शुभाकमनएं और बधाई।

हिन्दी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर कविता "कोटि-कोटि नमन करता हूँ, लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ का" पत्रकार बन्धुओं को समर्पित साथ ही हार्दिक शुभाकमनएं और बधाई। 'हिन्दी पत्रकारिता दिवस'             30 मई पर एक कविता  """"""""""""""""""""""""""""""""""""""""""" आज ही का शुभ दिन जब  पहला हिन्दी अखबार छपा,  हिन्दी भाषी लोगों में जब  जुगुल किशोर का प्यार छपा।  हिन्दी पत्रकारिता दिवस की  हिन्दी जगत् को बहुत बधाई,  हिन्दी के दुर्दिन काल में तब  हिन्दी का सूरज दिया दिखायी।  पराधीन उस काल खण्ड में  जन-जन का उद्गार छपा।.......  तीस मई अट्ठारह सौ छब्बीस  हिन्दी का परचम लहराया,  "उद्दन्त मार्तण्ड " नाम पड़ा  साप्ताहिक अखबार छपवाया।  भ्रष्ट, क्रूर, व्यभिचारी, हिंसक  अंग्रेजों का अत्याचार छपा।.......  कोटि-कोटि नमन करता हूँ  लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ का,  उस सत्य के सत

आज हिन्दी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर छोटी सी कविता "हिन्दी शिक्षा है आधार तुम्हारा, कलम बना है हथियार प्यारा" पत्रकार बन्धुओं को समर्पित साथ ही हार्दिक शुभाकमनएं और बधाई।

आज हिन्दी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर छोटी सी कविता "हिन्दी शिक्षा है  आधार तुम्हारा, कलम बना है हथियार प्यारा" पत्रकार बन्धुओं को समर्पित साथ ही हार्दिक शुभाकमनएं और बधाई।    तुम सच्चाई दिखलाते हो.... """"""""""""""""""""""""""""""""""""" हिन्दी शिक्षा है  आधार तुम्हारा कलम  बना  है  हथियार प्यारा, कांटो    में    राह    बनाते    हो तुम   सच्चाई    दिखलाते   हो। निर्भय निश्छल हो पथ पर चलकर सामाजिक दर्दों को सामने लाते हो कितने उलहनाओं को  सुन सहकर संवेदनाओं को नई दिशा दे जाते हो। कैसा  भी  हो   संकट   सारा राष्ट्र  समर्पण   भाव   तुम्हारा लोकतंत्र  के  चौथेस्तम्भ  की भूमिका का है कर्तव्य तुम्हारा। बिना  डरे  कर्म पथ  पर  चल पड़े कलम का प्रभाव लिए निकल पड़े दृढ़  निश्चय   संकल्प   बिना   भय  भाषा की मर्यादा में खड़े रहे अड़े। कभी दर्द बन कभी अश्रु बन अन्याय  नहीं   सह  पाते  हो थाम लेखनी निकल पड़े जब

महराजगंज : "एक गीत की तरह कोई आवाज़ आती है..." डॉ० प्रभुनाथ गुप्त विवश की नई रचना क्लिक कर पूरु पढ़ें।

महराजगंज : "एक गीत की तरह कोई आवाज़ आती है..." डॉ० प्रभुनाथ गुप्त विवश की नई रचना क्लिक कर पूरु पढ़ें। "एक गीत की तरह"                    एक कविता  """"""""""""""""""""""""""""""""""""" एक गीत की तरह  कोई आवाज़ आती है  मीठी सी प्यारी सी  कदाचित् वह कोयल है जो  गीत गाती है  हर सुबह हर शाम......... जगाकर मेरे सुप्त हृदय को  खो जाती है या  छिप जाती है नीड़ में  बस देखता रहता हूँ देर...तक  उस छायादार बृक्ष को  हर सुबह हर शाम...... .... फिर जाती है नज़र  सामने की खिड़की पर जो  खुलती है ....फिर बन्द हो जाती है फिर खुलेगी जब...... मुझे नींद आने को होगी देखता रहता हूँ उसी को  हर सुबह हर शाम ........... कितनी निष्ठावान है वह कोयल वह चेहरा जो  छिपाये हुए है हृदय में कसक, वेदना और पीड़ा को  और मैं.. ....चौंक पड़ता हूँ ज़रा सी आहट पर  कदाचित् वो.... आयें  जोहता हूँ राह  हर सुबह हर शाम..........

नई रचना चिलचिलाती गर्मियों के दरमियां, इक बात कहनी है, सूरज की तपिश से हैं परेशां, इक बात कहनी है - दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल क्लिक कर पूरी रचना पढ़े।

नई रचना चिलचिलाती गर्मियों के दरमियां, इक बात कहनी है, सूरज की तपिश से हैं परेशां, इक बात कहनी है -  दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल  क्लिक कर पूरी रचना पढ़े। सूरज की तपिश  =======//======= चिलचिलाती गर्मियों के दरमियां       इक बात कहनी है, सूरज की तपिश से हैं परेशां      इक बात कहनी है।। चढ़   रहे   पारे  सा  दिन   धूप नहीं  है   शीतल   छाया   कहीं प्यासे   हैं   सब   पंक्षी   पथिक कट     रहे     हैं     वृक्ष     सारे इक       बात       कहनी     है। ऐ     खुदा     रहम     कर    तूँ थोड़ी   राहत    अता    कर   तूँ पांव     में      छाले     पड़े     हैं जीवन   पथ   में   कांटे  बड़े   हैं इक       बात       कहनी       है। ऐ  मेरे  मालिक  सुन  अरदास तूँ सूर्य  क्यों  आग  का  गोला  हुआ जल रही   धरा   जल   सूख   रहा हे!  प्राणियों   में   प्राण  देने   वाले रहें  खुश  सब  इक  बात कहनी है। कर रहीं  हैं  नदियां  अरदास  तेरा बरस  जल  जीवन  भर जाए  मेरा लू     चले     या     आग     ऊगले हो करम  प्यास सबकी  बुझती रहे सूख रहीं नदियां भर जाए जल तेरा व्याकुल हो यही इक बात कहनी है।   मौलिक रचना:

गुरु जी लोगों ! नौकरी और जलवा दोनों विरोधाभाषी शब्द हैं आप क्या कहते हैं ? क्लिक कर पढ़ेंं यह रचना

गुरु जी लोगों ! नौकरी और जलवा दोनों विरोधाभाषी शब्द हैं आप क्या कहते हैं ? क्लिक कर पढ़ेंं यह रचना  सब  कुछ   खोकर,          थोड़ा  पाना.. जीते   जीते,  मरते                    जाना.. यही हक़ीक़त  यही                फ़साना.. यह    जीवन    का            ताना-बाना.. लेकिन कभी निराश                  न होना.. मोती    जैसे   सीप               में  रखना.. वही   दिखाना  जैसे                  दिखना.. पानी  से   पानी  पर                  लिखना.. सर्वाधिकार सुरक्षित:@"शजर"

महराजगंज : साहित्यिक मित्र मण्डल जबलपुर मध्यप्रदेश द्वारा दिनांक 24/05/2020 को आयोजित काव्य सम्मेलन में प्रतिभाग किया जिसमें द्वितीय स्थान के साथ प्रशस्ति पत्र मिले क्लिक कर देखें ।

महराजगंज : साहित्यिक मित्र मण्डल जबलपुर मध्यप्रदेश द्वारा दिनांक 24/05/2020 को आयोजित काव्य सम्मेलन में प्रतिभाग किया जिसमें द्वितीय स्थान के साथ प्रशस्ति पत्र मिले क्लिक कर देखें । साहित्यिक मित्र मण्डल जबलपुर मध्यप्रदेश द्वारा दिनांक 24/05/2020 को आयोजित काव्य सम्मेलन में प्रतिभाग किया जिसमें द्वितीय स्थान के साथ प्रशस्ति पत्र आज दिनांक 26/05/2020 को प्रदान किया जिसे पाकर मैं गौरान्वित हुआ। शीर्षक - ईश्वर की बेटी का आंचल =======//=====//====== तेरे सुमन से जग विख्याता पल-पल हे ! ईश्वर   की  बेटी  का  आंचल । स्वच्छ सांची से तन-मन को, पुलकित  करने  वाली  है तेरी  ममता  की  छावों  में हरे     भरे    वृक्षों     कि  शोभा   बड़ी   निराली   है  जल जीवन तेरा भाता कल-कल हे ! ईश्वर   की  बेटी  का  आंचल । शस्य  श्यामला  धरा  कहीं पर कहीं   पर्वत  और   पठार    है तेरी गोदी में श्रीराम का तीरथ तूँ सबसे बड़ी ममता सी कीरत तेरे   दिये  समीर  से  सब  जन जग में जीवन की प्यास बुझाता हर पल हे !  ईश्वर   की   बेटी  का  आंचल । व्याकुल भले आसमाँ अनेक रंग धरे  तुझको  ही  सब  सुहाता  है कौन सा जीव

महराजगंज : स्कूल चलो अभियान गीत के रूप में बच्चों और अभिभावकों को नामांकन हेतु प्रोत्साहित करती छोटी सी कविता "सरकारी स्कूल चलें हम...." रचना दयानन्द त्रिपाठी की क्लिक कर पूरी पढ़ेंं ।

महराजगंज : स्कूल चलो अभियान गीत के रूप में बच्चों और अभिभावकों को नामांकन हेतु प्रोत्साहित करती छोटी सी कविता "सरकारी स्कूल चलें हम...." रचना दयानन्द त्रिपाठी की क्लिक कर पूरी पढ़ेंं । स्कूल चलो अभियान गीत ========//======== सरकारी स्कूल चलें हम..... हम बच्चों को स्कूल पहुँचायें  माँ सरस्वती से ये आशीष पायें अक्षर ज्ञान विज्ञान पढ़ भरें दम   सरकारी  स्कूल  चलें  हम ।। शिक्षा   है    विज्ञानों   की   खेती पढ़-लिख क्षितिज तक करें परतीती गली-कूंचे को रोशन कर दें हो सम   सरकारी  स्कूल  चलें  हम ।। निजी स्कूल बने प्रोफेशनल शाप ये हैं   गरीबों के लिए   अभिशाप सरकारी स्कूल हैं सुविधा सम्पन्न हरदम   सरकारी  स्कूल  चलें   हम ।। स्कूलों  का  स्वच्छ  है  परिवेश  जूता-मोजा, स्वेटर और मिलता है ड्रेस दूध-फल, खाना भी मिलता है हरदम   सरकारी  स्कूल  चलें  हम।। पुस्तक, बैग की बात भी समझो खेलों की सुविधाएं नि:शुल्क हैं समझो प्रशिक्षितों से अक्षरब्रह्म ज्ञान बढ़ायें हम सरकारी  स्कूल  चलें   हम।। गाँधी, टैगोर और अम्बेडकर  तक सरकारी स्कूलों का शान बढ़ायें राजेंद्र प्रसाद, कलाम भी भरें हैं दम   सरकारी 

महराजगंज : अग्रसर हिन्दी साहित्य मंच जयपुर राजस्थान ने विश्व संचार दिवस दिनांक 17/05/2020 के आयोजित एक दिवसीय कार्यक्रम के अवसर पर रचना प्रस्तुत की जिस पर निर्णायक मण्डल ने सम्मान पत्र देकर शिक्षक कवि दयानन्द त्रिपाठी को किया सम्मानित

महराजगंज : अग्रसर हिन्दी साहित्य मंच जयपुर राजस्थान ने विश्व संचार दिवस दिनांक 17/05/2020 के आयोजित एक दिवसीय कार्यक्रम के अवसर पर रचना प्रस्तुत की जिस पर निर्णायक मण्डल ने सम्मान पत्र देकर शिक्षक कवि दयानन्द त्रिपाठी को किया सम्मानित  अग्रसर_हिन्दी_साहित्य_मंच_जयपुर_राजस्थान ने विश्व_संचार_दिवस के काफी भिन्न नीरस विषय पर भी रचनाएँ लिखी थीं और अपनी रचना संस्था के आयोजक के सामने प्रस्तुत हुईं आज अभी-अभी उस रचना के लिए सम्मान_पत्र देकर सम्मानित किया जिसे पाकर मैं भी हर्षित हुआ। सम्मानित करने के लिए अग्रसर हिन्दी साहित्य मंच को हार्दिक शुभकामनाएं । विश्व दूर संचार दिवस दिनांक 17/05/2020 क्या ये रीति नहीं है... द्रूत गति से संदेशों का आना जाना संप्रेषण से संदेशों को यूं पहुंचाना क्या ये रीति नहीं है? पल में सात समंदर लाल मेरे तूं कैसा है सजनी साजन से जानें पिया तूँ कैसा है अब क्या ये रीति नहीं है? दूतों से लेकर तीरों तक संदेशों को पहंचाते थे कबूतरों से संदेशों का प्रचलन जोरों पर थे क्या ये रीति नहीं थी? डाकखानों से चिठ्ठीयों का आना जाना होता है जीवन में संचारों का रूप निराला हो

क्वरेनटाइन पर देहाती महिला का अपने परिवार के प्रति दर्द को बयां करती रचना "आइल हमार परदेशी सजनवां, ठहर गईल इसकूल में !" प्रस्तुत करने का प्रयास है आशा है आप सबका आशिवार्द मिलेगा

क्वरेनटाइन पर देहाती महिला का अपने परिवार के प्रति दर्द को बयां करती रचना "आइल हमार परदेशी सजनवां, ठहर गईल इसकूल में !" प्रस्तुत करने का प्रयास है आशा है आप सबका आशिवार्द मिलेगा आइल हमार परदेशी सजनवां ठहर गईल इसकूल में ! वहीं  गेटवा  पे  बैइठे पुलिसवा  घुसे    न    देला    इसकूल  में! सांझ   भिनहीं  ताकत   रही लें, निकले ना सजनवां इसकूल से! मनवां हमार खीजत बा टीस उठेला प्रेम में, सुनत रहलीं दुबरा गईल सजनवां परदेश में। सुनेलीं जब आवता सजनवां परदेश से, चम्पा  -  चमेली  के  बनवली  गजरवा, मंहके ला मनवां धड़केला हिया तेज से। फरल बा अमुवां लदल बा डलिया सेट में, निक  न  लागे   हम्में   चटनियाँ  पेट  में! 21 दिन  बसउली  सरकारवा  सफरेट में, परदेश से आजा सजनवां रोगवा फइलत बा विदेश में। पास में रहता सजनवां  व्याकुल  बा  मनवां,  चिड़िया और चिड़ा बैइठे बबूरवा के पेड़ में। मौलिक रचना-दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल    लक्ष्मीपुर, महराजगंज, उत्तर प्रदेश।

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान

राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को मिलि उत्कृष्ट सम्मान राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान हरियाणा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में "हरिवंश राय बच्चन सम्मान- 2020" से शिक्षक दयानन्द त्रिपाठी (कवि दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल ) को उत्कृष्ट कविता लेखन एवं आनलाइन वीडियो के माध्यम से कविता वाचन करने पर राष्ट्रीय मंच द्वारा सम्मानित किया गया। यह मेरे लिए गौरव का विषय है।

वट सावित्री पूजा के अवसर पर एकछोटी सी कविता "वट से मांगें पत्नियां अमर रहे वर करूँ पूजा"- प्रस्तुत कर रहा हूँ आशा है आप सब आशिवार्द मिले......

वट सावित्री पूजा के अवसर पर एकछोटी सी कविता " वट से मांगें पत्नियां अमर रहे वर करूँ पूजा"-   प्रस्तुत कर रहा हूँ  आशा है आप सब आशिवार्द मिले...... वट वृक्षों की पूजा पतियों का सम्मान, रहे निर्जला सुहागिनें लेकर ये विधान। गाँवों से शहरों तक है जीवन का मान, सुहागिनें करें दिर्घायु हेतु वट पूजन विधान। हम सबके संस्कारों में वट हैं ईश समान, करें कामना सुहागिनें पति रहें सत्यवान। रीति रिवाजों से है जीवन मूल्य आधार, वट पेड़ नहीं ब्रम्हा बिष्णु महेश का है स्थान। वट वृक्षों की छाया पथिकों को देती आराम, कड़ी धूपहो जली धरा हो ठंडी पवन चलाय। वट पर सोच ये प्राणी ज्ञान समुंदर पर बल दे, वसुधैव - कुटुम्बकम की  राहों का है सहाय। ऐसे  ही  नहीं  होते  वट  वृक्षों  की  पूजा, अमृत जीवनधारा के रहे होंगे कारण दूजा व्याकुल बंधीं पत्नियां सातजन्मों के फेरों से, वट से मांगें पत्नियां अमर रहे वर करूँ पूजा। मौलिक रचना-दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल                       उत्तर प्रदेश ।

काव्य रंगोली हिन्दी साहित्यिक पत्रिका समबद्ध श्याम सौभाग्य फाउंडेशन के श्याम सौभाग्य जन्मोत्सव पर रचना प्रस्तुत किया था देखें जिस पर अभी-अभी मिला सहभागिता सम्मान-पत्र क्लिक कर रचना देखें ।

काव्य रंगोली हिन्दी साहित्यिक पत्रिका समबद्ध श्याम सौभाग्य फाउंडेशन के श्याम सौभाग्य जन्मोत्सव पर रचना प्रस्तुत किया था देखें जिस पर अभी-अभी मिला सहभागिता सम्मान-पत्र क्लिक कर देखें ।           रचना नीचे प्रदर्शित है देखें श्याम सौभाग्य की लूट है लूट सके तो लूट, मन में निराशा हो श्याम नाम की पीलो घूंट पे घूंट। श्याम सौभाग्य फाउंडेशन पर भई कवियों की भीर, जन्मदिन को सुफल होवें आशिवार्द देवें एक से बढ़कर एक कवि गंभीर। धन की गति बस तीन हैं दान, भोग और नाश, श्याम सौभाग्य जी प्रगति करें ये है मेरा  आशीष। मन के हारे हार है मन के जीते जीत, श्याम रटत ही प्रभु मिलें कर लीजै परतीत। ज्यों तिल माही तेल है ज्यों चकमक में आग, वैसे हैं श्याम सौभाग्य संस्था मिले हैं बड़ि भाग। दु:ख में सुमिरन सब करै, सुख में करै न कोय, जो सुख में श्याम नाम रटौ तो दु:ख कांहे को होय ।  👇 नीचे दूसरी रचना 👇 धर्म  कह  रहा  बोल-बोल  कर, प्राण  मिला है  कुछ  करने  को इस  जन्म को  सफल   बनाओ दे  दे  प्रेम  सब  जन   नर   को बढ़  रहा  दिन जन्म श्याम सौभाग्य का कर दे सब कुछ  समर्पित  प्रभु धाम को भ्रम,सुन,चेत, राम का वन्दन कर दिन 

21 मई आतकंवाद विरोधी दिवस एवं भारत रत्न स्व0 राजीव गांधी की पुण्य तिथि पर प्रस्तुत है एक कविता.......सत्य, अहिंसा, भाई-चारा सबसे बड़ा संदेश....क्लिक कर देखें ।

21 मई आतकंवाद विरोधी दिवस एवं भारत रत्न स्व0 राजीव गांधी की पुण्य तिथि पर प्रस्तुत है एक कविता.......सत्य, अहिंसा, भाई-चारा सबसे बड़ा संदेश....क्लिक कर देखें । आतंकवाद  की   काली  छाया से, भयभीत     हमारा    देश     हुआ। चारों   ओर   कोलाहल    मचा   है, बदला - बदला  सा  परिवेश   हुआ। प्रतिदिन    कितने   जन   हैं   मरते, ना जाने कितने  घर-सिंदूर  उजड़ते। कितने    माँताओं  की   गोदी   सूनी, तिमिर  फैला   विनाश  हो रही  दूनी। भारत  भाग्य   की  कैसी  बिडम्बना, आतंकवाद से नहीं है बचता परिवेश। नहीं किसी का भला हुआ है ना होगा, चाहे  जितना  कर लें  आतंकी  प्रवेश। इससे  सभी  के  जन जीवन  में  होगा, केवल  ईर्ष्या,  जलन, रागद्वेष,  विद्वेष। अगर  खत्म  करना है  जड़ से आतंक बाँटो सुख-शान्ति का चारों ओर सन्देश। परिणाम    भंयकर   हो   सकता   है, अगर नहीं लगा  आतंक  पर  आवेश। आतंकवाद जब बढ़ सर चढ़ जाता है, मानव जाति भी हो जाता  है  अवशेष। सबको  खाली  हाथ  है  आना  जग में, व्याकुल खाली हाथ ही जाना है हे! ईश गांधी-बुद्ध के राहों को जग ने मान दिया, सत्य,अहिंसा,भाई-चारा सबसे बड़ा संदेश।     रचना - द

कोरोना काल में सामान्य जन के विचारों को छूते हुए रचना प्रस्तुत है - "बीत जाय यह दु:खमय रजनी"...

शीर्षक - बीत जाय यह दु:खमय रजनी। जीवन में संघर्षों की गाथा मिलती है नित नई परिभाषा देख   तिमिर   विश्व पर छायी अब दिल बैठ रहा  मन ठगनी बीत जाय यह दु:खमय रजनी। मानव पर घोर संकट आयी कोरोना नई बिमारी है हठनी हर दिन हर पल सांस है अटकी मूरख समझे ना दूरी नहीं है सटनी बीत जाय यह दु:खमय रजनी। मन उद्वेलित है मयखानों से नासमझ इन जीवित परवानों से कह रहे लाले पड़े हैं खाने जीने की नहीं  पास   है  रूपया  चवन्नी बीत जाय यह दु:खमय रजनी। राम कृष्ण की है पावन धरती धर्म युद्ध से विजय है  मिलती हे! मधुसुदन कर कृपा दूर कर रूदन व्याकुल मानव की रक्षा तुझे है करनी बीत जाय यह दु:खमय रजनी। रचना- दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल              उत्तर प्रदेश ।

महानकवि सुमित्रानन्दन पंत की आज 120वीं जयन्ती पर एक छोटी सी कविता प्रस्तुत कर रहा हूँ..दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

महानकवि सुमित्रानन्दन पंत की आज 120वीं जयन्ती पर एक छोटी सी कविता प्रस्तुत कर रहा हूँ..दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल शुरू  कर   रहा  हूँ   अभिनन्दन से, छायावादी  हिन्दी कवि  महान हुए। गंगा   माँ    की   गोदी    में    जन्मे, सरस्वती   माँ   का   वरदान    हुए। सन   उन्नीस  सौ   बीस  मई    मास   को, अवतरण हुए अल्मोड़ा के कौसनी गाँव में। हिन्दी संस्कृत अंग्रेजी औ बंगला ज्ञान लिए, प्रसिद्ध हुए सुमित्रानंदन पंत अलंकार में। हिमालय   गिरी   सा   गौरव   है    तेरा, अम्बर से लेकर क्षितिज तक फैला प्रकाश। कल  -  कल    कर   आवभगत   करतीं, नदियाँ सागर मोती की लड़ियों से पावस। ज्ञानपीठ पद्यविभूषण साहित्य अकादमी के, सम्मानों की लगी झड़ी ऐसे ग्रंथ महान दिए। भारत  तो  तेरे श्रद्धा के भारों से  धन्य हुआ, जग  में  तेरे  काव्य ग्रन्थों का  प्रसार किए। हे!  प्रकृति  के  सुकुमार   कवि महान प्रकृति को भांप यूँ सूरज सा प्रकाश हुआ। तेरे ग्रंथों को व्याकुल जग दे रहा सम्मान, दिसम्बर 28,1977 को तेरा अवसान हुआ। मौलिक रचना दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल                महराजगंज, उत्तर प्रदेश।

महराजगंज : शिक्षक कवि दयानन्द त्रिपाठी को उनकी रचनाओं के लिए श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान, अक्षय काव्य सम्मान, मदर्स प्राइड अवार्ड सहित मिले कई और सम्मान एवं प्रशस्ति पत्र क्लिक कर देखें ।

शिक्षक कवि दयानन्द त्रिपाठी को श्रेष्ठ साहित्य शिल्पी सम्मान, अक्षय काव्य सम्मान, मदर्स प्राइड अवार्ड सहित मिले कई और सम्मान एवं प्रशस्ति पत्र क्लिक कर देखें ।

कलयुग_की_यह_सच्चाई_है...रचना प्रस्तुत है आशा है आप सबका प्यार मिलेगा

कलयुग_की_यह_सच्चाई_है...रचना प्रस्तुत है आशा है आप सबका प्यार मिलेगा      🙏🙏🙏🌹🌹🌹💐💐🙏 बीत    रहे    दिन    पर    दिन  सड़कों   को   पसीना  आई  है ट्राली -  बैग  पर   बच्चा   सोए कलयुग   की   यह  सच्चाई  है। खुला  आकाश  सर पर   मकां सड़कों  की  आँखे भर  आई है हो   रह है   वज्रपात  यह  कैसा नव  जीवन   की  बेला  आई है। सूनसान     पसरे     सन्नाटे    में  सड़कों    पर     रेला   आई    है घोर    कष्ट  है   हृदय    तल   में मानव  का  बौनारुप  दिखाई है। कराह  रही सुख  के कष्टों  से माँ बच्चा जनी  सड़कों की गहराई है आपदाएं  खुशी  के   सोहर  गाएं सुविधाओं  की  झड़ी  लगाई  है। सोच    रहा    है     तेरा    मानव  कैसी    तेरी    ये     रूसवाई   है आरोपों    के      तीर     धड़ाधड़ घिनौने    खेलों   की   परछांईं  है। सड़कों    ने     गाँवों    को    छोड़ा ले  तेरा लाल,  बाप,  सिंदूर  लाई है व्याकुल देख सड़कों की छाती लाल फटेचिटे  कपड़ों में  नीरभर आई है। रचना_दयानन्द_त्रिपाठी_व्याकुल       महराजगंज, उत्तर प्रदेश।

अकिंचन भक्त की सरस्वती वन्दना, हे! हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी, हे! आशिर्वचनों की वरदायिनी....रचना प्रस्तुत है क्लिक कर देखें

अकिंचन भक्त की सरस्वती वन्दना, हे! हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी, हे! आशिर्वचनों की वरदायिनी....रचना प्रस्तुत है क्लिक कर देखें             सरस्वती वन्दना हे! गणपति गणनायक तुझे कोटि - कोटि प्रणाम। हे! गौरी सुत सुमरिन कर तेरा शुरू करूँ हर काम।। हे! हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी , हे! आशिर्वचनों की वरदायिनी। मेरा मन प्रकाशित कर दे माँ, तूँ व्याकुल को ऐसा वर दे माँ। पाकर विद्या ज्योति माँ तेरी, कुबुद्धि अज्ञानता स्वाब कर मेरी। मैं अबोध तेरी शरणों में आया, तेरा पुजारी हूँ माँ बदलो मेरी काया। काम, क्रोध, मोह, लोभ सब तेरी माया, अवगुण मिटा कर दे ज्ञान की छाया। तूँ स्वर की देवी तुझसे गीत-संगीत माँ, मेरे हर शब्द को परिपूर्ण कर दे माँ। नहीं चाहिए धन धान्य यश सम्मान पाऊँ, पाकर चरण रज माँ मैं तर तर जाऊँ। बस यही कामना तेराभक्त कहलाऊँ, करता रहे अभ्यास निरन्तर तेरी सेवा पाऊँ। हे! माँ शारदे इतनी कृपा कर वरदायिनी , विद्या ज्योति जगाकर ज्ञान दे ज्ञान स्वामिनी। रचना - दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल लक्ष्मीपुर महराजगंज, उत्तर प्रदेश।

महराजगंज : दयानंद त्रिपाठी 'व्याकुल' को मिला राष्ट्रीय मदर्स प्राइड अवार्ड - 2020

महराजगंज : दयानंद त्रिपाठी 'व्याकुल' को मिला राष्ट्रीय मदर्स प्राइड अवार्ड - 2020 - मदर्स डे पर आनलाइन आयोजित प्रतियोगिता में कविता प्रस्तुति के लिए मिला सम्मान फोटो परिचय : दयानंद त्रिपाठी 'व्याकुल' महराजगंज । महराजगंज जनपद के शिक्षक एवं कवि दयानंद त्रिपाठी व्याकुल को श्रीमती द्रोपदी देवी मेमोरियल ट्रस्ट, गोरखपुर द्वारा आयोजित राष्ट्रीय  आनलाइन मातृ दिवस कार्यक्रम में कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ धनञ्जय मणि त्रिपाठी, संयोजिका डॉ मणि अभय मुथा तथा विशिष्ट अतिथि मोनिका महाजन मणि ने मदर्स प्राइड अवार्ड 2020 से सम्मानित किया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री सुशील जी लुहाड़िया पूर्व अध्यक्ष कांग्रेस तथा पूर्व पार्षद धार ने दयानंद त्रिपाठी व्याकुल की कविताओं की सराहना करते हुए उन्हें शुभकामनाएं प्रेषित किया है।       फोटो : मदर्स प्राइड अवार्ड 2020  मदर्स डे पर सामाजिक संस्था श्रीमती द्रोपदी देवी मेमोरियल ट्रस्ट, गोरखपुर उत्तर प्रदेश द्वारा मातृ दिवस पर आनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था । जिसमें देश के सभी प्रांतों से 250 प्रतिभागि