*कहानी* *ढोल* एक बार राजस्थान के एक छोटे से गांव में एक गरीब औरत अपने परिवार के साथ रहती थी, उस गरीब औरत के एक बेटा था, वह बड़े घरों में काम करके अपना गुजारा करती थी, वह अपने बच्चे के लिए कभी खिलौना नही ला सकी। एक दिन उसे काम के बदले अनाज मिला। वह अनाज को हाट में बेचने जाती है और जाते समय उसने बेटे से पूछा, बोल, बेटे तेरे लिए हाट से क्या लेकर आऊं?" बेटे ने झट जवाब दिया, ढोल, मेरे लिए एक ढोल ले आना मां।' मां जानती थी कि उसके पास कभी इतने पैसे नहीं होंगे कि वह बेटे के लिए ढोल खरीद सके। वह हाट गई, वहां अनाज बेचा और उन पैसों से कुछ बेसन और नमक ख़रीदा। उसे दुख था कि वह बेटे के लिए कुछ नहीं ला पाई। वापस आते हुए रास्ते में उसे लकड़ी का एक प्यारा-सा टुकड़ा दिखा। उसने उसे उठा लिया और आकर बेटे को दे दिया। बेटे की कुछ समझ में नहीं आया कि उसका वह क्या करे। दिन के समय वह खेलने के लिए गया, तो उस टुकड़े को अपने साथ ले गया। एक बुढ़िया अम्मा चूल्हे में उपले(गोबर से बने हुए) जलाने की कोशिश कर रही थीं, पर सीले उपलों ने आग नहीं पकड़ी। चारों तरफ़ धुआं ही धुआं हो गया। धुए से अम्मा की आंखों में