गो सेवा गो माता की सेवा कर लो, सारा दुख मिट जाएगा । गो में सारे देव विराजें , भव बंधन पिट जाएगा ।। गोरज,गोरस , गोर्वधन से, सज्जित गोकुल और गोपाल । गोमाता की महिमा न्यारी, गो सेवा से उन्नत भाल ।। गो स्पर्श अधिक सुखकारी , होती मधुर भाव की वृष्टि । सकारात्मक ऊर्जा मिलती, परिवर्तित हो जाती दृष्टि ।। गैया पंचगव्य देती है , जो है सच में दिव्य प्रसाद । लोक और परलोक सभी के, मिट जाते जिससे अवसाद ।। जिस घर में गोमाता होती , उस घर में लक्ष्मी का वास । प्रेमपूर्ण माहौल वहां का , दुश्चिंतन का होता नाश ।। गाय नहीं रख सकते घर में, गो सेवा हित करो प्रयास । गोशालाओं को अर्पित धन से भी बंधी रहेगी आस ।। भले चीता है राष्ट्रीय पशु अब, गैया को भी दो सम्मान । हिन्दू हृदय सच खिल जाएगा, मिट जाएगा सब अपमान ।। दीवाली के बाद गोवर्धन पूजा है,इसका है ध्यान । गो पूजा हम करें सहर्षित, इसमें छिपा जगत् कल्याण ।। गैया केवल पशु नहीं है, वह है संस्कृति का आधार । हिन्दू धर्म की पोषक है यह, जिससे रक्षित है संसार ।। मिलजुलकर योजना बनाएं, सामूहिक गो पूजन आज । अजब छटा बिखरेगी सचमुच, होगा तिलक,माथ पर ताज ।। देगी शुभाशीष हम सबको