ग़ज़ल - आमदो आवाम में अलख जगानी चाहिए।। तोड़ना है क्षितिज को तूफ़ान आनी चाहिए, इन पुराने मौसमों में ज्वार आनी चाहिए।। हो गया बस बन्द कमरे में सिसकना, आज सड़कों पर निकल इतिहास जानी चाहिए।। विष का दरिया आज फैला है जहां में, मंदिरों औ मस्जिदों से कूबकू में प्यार आनी चाहिए।। बिखरते टूटते उरयां उम्मीदों को लिए अब, जिन्दा लाशों की खूं में उबाल आनी चाहिए।। पक्ष और प्रतिपक्ष जब लड़ने लगे हों...