*मधुमालती छंद* *शिक्षा* ---------------------------- शिक्षा सहज विस्तार दे , यह ज्ञान को आधार दे । जीवन शुचित परिकल्पना, संसार शोभित अल्पना ।। आओ चलें शिक्षित करें , समता बसाएँ शुभ वरें । लाए नया शुचि ज्ञान वो , जिसमें बसा शुभ ध्यान हो।। चलते चलो आगे बढ़ो , संघर्ष कर अक्षर गढ़ो । विश्वास मन में हो अटल , उत्कर्ष शोभित हो प्रबल ।। झंकृत बजे वीणा सुखद , शिक्षा सदा ही हो वरद। माँ भारती आराधना , हिय में बसे संकल्पना ।। अक्षर शुभग बन वंदिता , रच ग्रंथ तुलसी शब्दिता। लालित्य ग्रंथों शोभिता , उत्कृष्ट आभा रक्षिता ।। अन्तर समाहित ज्ञान हो , शिक्षा नवल विस्तार हो। जन- जन बने शिक्षित जहाँ , शिक्षा मधुर रक्षित तहाँ ।। * मधु शंखधर 'स्वतंत्र* *प्रयागराज* *31/03/2022*